उत्तराखंड में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है, और गुरुवार को तीन दिन बाद अचानक ठंड का प्रभाव बढ़ गया। बारिश और बर्फबारी के कारण दिन का तापमान गिरा, जिससे पहाड़ी इलाकों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक ठंड का प्रभाव अधिक बढ़ गया। हालांकि, रात के तापमान में कोई खास गिरावट नहीं आई। शुक्रवार की सुबह कड़कती धूप के साथ हुई, लेकिन मौसम में बदलाव की संभावना बनी हुई है। इस बीच, मौसम विभाग ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पाला पड़ने और मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा छाने की चेतावनी जारी की है, जिससे ठंड में और वृद्धि हो सकती है।
मौसम में आए बदलाव के कारण
गुरुवार को उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में मौसम अचानक बदल गया। पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश ने प्रदेश के तापमान को गिरा दिया। हालांकि, रात के समय तापमान सामान्य स्तर पर बना रहा। लेकिन शुक्रवार को प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में पाला पड़ने और मैदानी इलाकों में घना कोहरा छाने का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इससे ठंड में और वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार, पर्वतीय जिलों में पाला और मैदानी इलाकों में कोहरा इस मौसम का प्रमुख पहलू होंगे, जो दिन-प्रतिदिन ठंड को बढ़ाएंगे।
बदरीनाथ और मलारी हाईवे बंद
गुरुवार को हुई भारी बर्फबारी के कारण कई स्थानों पर सड़कें बंद हो गईं। विशेष रूप से बदरीनाथ और मलारी हाईवे पर बर्फबारी के कारण आवाजाही ठप हो गई है। औली की सड़क पर टीवी टावर से आगे बर्फ और पाले की परत जमने के कारण छोटे वाहनों की आवाजाही बंद रही। यात्री और स्थानीय निवासी इससे परेशान हैं, और सड़कें खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, बर्फबारी का सिलसिला अभी और जारी रहने की संभावना है, जिससे हाईवे और अन्य मार्गों पर यातायात प्रभावित हो सकता है।
157 साल के इतिहास में नए मौसम रिकॉर्ड
उत्तराखंड का मौसम इस साल कई नए रिकॉर्ड बनाने में सफल रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के 150 साल पूरे होने के अवसर पर मौसम के लंबे इतिहास में कई अप्रत्याशित घटनाएं हुईं। विशेष रूप से दून घाटी में वर्ष 2024 में पारा काफी ऊपर चढ़ा, और 31 मई को दून का अधिकतम तापमान 43.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो अब तक का सबसे उच्चतम तापमान था। दून में इस तापमान का बढ़ना चौंकाने वाला था, क्योंकि यहां गर्मी कभी इतनी तीव्र नहीं रही।
मौसम विभाग ने 1 जनवरी 1867 से देहरादून में तापमान की गणना शुरू की थी, और इस साल मई में दर्ज किया गया 43.2 डिग्री सेल्सियस का तापमान अब तक का सबसे अधिक था। इसके बाद जून के महीने में भी गर्मी का प्रकोप जारी रहा, लेकिन जुलाई से सितंबर के बीच बारिश ने राहत प्रदान की। हालांकि, वर्ष 2024 में बारिश के मामले में भी नया रिकॉर्ड बना, और प्रदेश में अधिक बारिश दर्ज की गई।
सर्दियों में बर्फबारी का नया रिकॉर्ड
सर्दी के मौसम में भी उत्तराखंड ने अपना एक नया रिकॉर्ड कायम किया। वर्ष 2014 में राज्यभर में अब तक की सबसे अधिक बर्फबारी दर्ज की गई थी, जब 57.5 इंच बर्फबारी हुई थी। यह बर्फबारी 157 वर्षों के मौसम इतिहास में सबसे अधिक रही है। उस समय पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी ने कई मार्गों को बंद कर दिया था, और यह राज्य के लिए एक ऐतिहासिक घटना बन गई थी।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बदलाव के पीछे मौसम के पैटर्न में आए बदलाव हैं। कभी अत्यधिक बारिश और कभी अधिक गर्मी ने मौसम के सामान्य पैटर्न को प्रभावित किया है। इससे यह भी पता चलता है कि उत्तराखंड में मौसम अत्यधिक परिवर्तनशील हो गया है, और इस बदलाव के कारण अब मौसम के पूर्वानुमान को लेकर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
उत्तराखंड में मौसम का भविष्य
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में अगले कुछ दिनों में मौसम का रुख और बदल सकता है। पर्वतीय इलाकों में अधिक बर्फबारी हो सकती है, और मैदानी इलाकों में ठंड और कोहरे का असर बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी दिनों में पाला पड़ने के कारण शीतलहर और ठंड का प्रकोप बढ़ सकता है, जिससे लोगों को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा, उत्तराखंड में बर्फबारी के कारण परिवहन और यात्रा प्रभावित हो सकती है। यात्री और स्थानीय लोग जब तक मौसम की स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक यात्रा से बचने की सलाह दी जा रही है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में मौसम में आए इस असामान्य बदलाव ने प्रदेशवासियों को ठंड और बर्फबारी की चुनौती दी है। पहाड़ों में बर्फबारी, मैदानी इलाकों में कोहरा और पाले की स्थिति से मौसम और भी सर्द हो सकता है। इसके अलावा, मौसम के बदलते पैटर्न ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब उत्तराखंड में मौसम का पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक कठिन हो गया है। लोग मौसम से जुड़े किसी भी बदलाव के प्रति सतर्क रहने और सुरक्षा उपायों को अपनाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं।