
कांग्रेस पार्टी के लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आज अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में अपनी पार्टी के ऐतिहासिक योगदान और भविष्य के लक्ष्यों पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने पार्टी के 100 साल पहले के इतिहास और अपने प्रयासों पर भी जोर दिया। कांग्रेस पार्टी की नींव को महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल से जोड़ते हुए राहुल गांधी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका ध्यान हमेशा समाज के पिछड़े वर्गों के कल्याण पर केंद्रित रहा है।
पार्टी का ऐतिहासिक योगदान: महात्मा गांधी और सरदार पटेल का संदर्भ
राहुल गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, “100 साल पहले महात्मा गांधी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली थी और 150 साल पहले हमारे महान नेता सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। इन दोनों महान नेताओं का योगदान कांग्रेस पार्टी की नींव के रूप में देखा जाता है, जो आज भी हमारे संघर्षों और दृष्टिकोणों का मार्गदर्शन करता है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा समाज के हर वर्ग, खासकर पिछड़ों और दलितों के लिए काम करती आई है और यह उनका नायकत्व है जो पार्टी के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। राहुल गांधी ने आगे बताया कि वह खुद भी पिछड़ों के लिए काम कर रहे हैं और पार्टी के सामाजिक न्याय के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
तेलंगाना में जाति जनगणना: कांग्रेस का क्रांतिकारी कदम
राहुल गांधी ने तेलंगाना में हाल ही में हुई जाति जनगणना को कांग्रेस पार्टी का एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा, “तेलंगाना में जाति जनगणना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ा कदम था। यह जानने की आवश्यकता थी कि देश में किस जाति के लोग कितने हैं, ताकि हमें यह समझ में आ सके कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए कौन से वर्गों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
राहुल ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाति जनगणना कराने का आग्रह किया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे टाल दिया। “मैंने संसद में प्रधानमंत्री से कहा था कि जाति जनगणना करवाई जानी चाहिए। हमें यह पता होना चाहिए कि दलितों की संख्या कितनी है, पिछड़े वर्गों की स्थिति क्या है, और गरीब जनरल वर्ग के लोगों की कितनी संख्या है।” राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस जानकारी को छिपाना चाहती है।
आरक्षण में 50% की सीमा तोड़ने का संकल्प
राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस ने यह साफ कर दिया है कि वे जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते हैं, क्योंकि वे इस तथ्य को छिपाना चाहते हैं। लेकिन हम इसे छिपने नहीं देंगे। हम इसे कानून बनाकर लागू करेंगे। मैं फिर से कह रहा हूं कि हम आरक्षण में 50% की दीवार को पूरे देश में तोड़ देंगे। जो हमने तेलंगाना में किया, वही हम पूरे देश में करने जा रहे हैं।”
राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस पार्टी के सामाजिक न्याय के एजेंडे के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल नहीं करती, कांग्रेस पार्टी अपने संघर्ष को जारी रखेगी और आरक्षण की सीमाओं को समाप्त करने के लिए काम करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी पर हमला: ’56 इंच की छाती’ का सवाल
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर व्यक्तिगत हमला किया, खासकर बांगलादेश और अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों पर। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री हर जगह जाकर मत्था टेकते हैं, लेकिन जब बांगलादेश उल्टा बयान देता है, तो वे उसका साथ देने में कोई संकोच नहीं करते। ट्रंप ने पीएम मोदी से कहा कि अब कोई टैरिफ नहीं लगेंगे, तो कहां गई उनकी 56 इंच की छाती?”
यह बयान नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और उनके नेतृत्व की आलोचना के रूप में देखा गया। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह अपनी सशक्त नेतृत्व छवि को खो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के सम्मान को खतरे में डाल रहे हैं।
वक्फ कानून पर राहुल गांधी का हमला
राहुल गांधी ने वक्फ कानून पर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा, “वक्फ कानून सिर्फ मुस्लिम समुदाय के मामलों तक सीमित नहीं रह सकता। यह कानून पूरी धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण है और संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है।”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हमने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था, और अब हम RSS और BJP की विचारधारा के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। यह संविधान का उल्लंघन है।”
कांग्रेस का विरोधी मोर्चा: संविधान और लोकतंत्र की रक्षा
राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करने के लिए हमेशा संघर्ष करती रही है। उन्होंने कहा, “जिस पार्टी के पास विचारधारा है, वही आरएसएस और बीजेपी का मुकाबला कर सकती है। हम संविधान के लिए लड़ रहे हैं, ताकि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता, समानता, और सामाजिक न्याय की रक्षा की जा सके।”
राहुल गांधी का यह बयान भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी की स्थायी भूमिका को और अधिक स्पष्ट करता है, जो लोकतंत्र और समाजवाद के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। उनके अनुसार, कांग्रेस पार्टी की विचारधारा ही भारतीय समाज में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा कर सकती है।