
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच जल्द ही एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसका मकसद दोनों राज्यों के बीच अब तक लंबित परिसंपत्तियों और दायित्वों के मामलों का समाधान निकालना है। बुधवार को देहरादून स्थित राज्य सचिवालय में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सीएम धामी ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे, वित्तीय दायित्वों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आगामी बैठक की तैयारियों के निर्देश दिए।
यह बैठक दोनों राज्यों के बीच वर्षों से लंबित मामलों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। वर्ष 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद से कई परिसंपत्तियों और वित्तीय दायित्वों को लेकर दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन सकी थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में प्रयास तेज हुए हैं और अब इन मुद्दों के निपटारे के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सीधे स्तर पर संवाद स्थापित करने जा रहे हैं।
अब तक क्या हुआ है, क्या है लंबित
मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों से सभी लंबित मामलों की स्थिति की जानकारी ली। समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि कई मामलों में सकारात्मक प्रगति हुई है और कुछ विवादित मुद्दों पर सहमति बननी बाकी है।
- वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति: ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिलों में स्थित जलाशयों और नहरों में वाटर स्पोर्ट्स (जल क्रीड़ा) की अनुमति प्रदान कर दी गई है। यह पर्यटन और स्थानीय रोजगार के लिहाज से बड़ा कदम है।
- बिजली बिलों का भुगतान: उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने उत्तराखंड को ₹57.87 करोड़ रुपये का बिजली बिल भुगतान कर दिया है, जो वर्षों से लंबित था।
- मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रगति: उत्तर प्रदेश मत्स्य निगम ने उत्तराखंड मत्स्य पालन विकास अभिकरण को ₹3.98 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इससे दोनों राज्यों के मत्स्य पालकों को राहत मिलेगी।
- वन विकास निगम: उत्तराखंड के वन विकास निगम को उत्तर प्रदेश द्वारा आंशिक भुगतान किया गया है, हालांकि पूर्ण राशि अभी लंबित है।
- परिवहन निगम: उत्तराखंड परिवहन निगम से जुड़ी कुछ अवशेष राशियों का भुगतान भी किया जा चुका है, जिससे निगम को आर्थिक मजबूती मिली है।
- आवास विकास परिषद: आवास विभाग के तहत आवास विकास परिषद की परिसंपत्तियों के निपटारे पर भी निर्णय हो चुका है, जिसे जल्द अमल में लाया जाएगा।
क्या अब भी लंबित है?
हालांकि इन उपलब्धियों के बावजूद कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे अभी भी पूरी तरह सुलझ नहीं पाए हैं:
- राज्य संपत्तियों की स्पष्ट श्रेणीकरण और स्वामित्व निर्धारण: कई सरकारी इमारतें, कार्यालय, और भूमि जो उत्तर प्रदेश में हैं लेकिन उत्तराखंड से संबंधित विभागों द्वारा उपयोग की जा रही हैं, उनका स्वामित्व स्पष्ट नहीं है।
- राजकीय सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के सेवा लाभ: उन कर्मचारियों का मुद्दा अभी लंबित है जो राज्य विभाजन के समय उत्तराखंड में सेवा कर रहे थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सीमा में हैं।
- जल संसाधनों और सिंचाई नहरों के रख-रखाव का खर्चा: कई सिंचाई योजनाएं और नहरें दोनों राज्यों की सीमाओं को छूती हैं। इनकी मरम्मत, संचालन और बिजली खर्च को लेकर बकाया व तकनीकी पेच अभी भी कायम हैं।
धामी सरकार चाहती है कि जिन मुद्दों पर पिछली बैठकों में सहमति बन चुकी है, उन्हें पहले अमल में लाया जाए ताकि जनता को इसका सीधा लाभ मिल सके। साथ ही, शेष विवादित मामलों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने का प्रयास हो।
मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट निर्देश
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि: “हमारी कोशिश होनी चाहिए कि जिन मामलों पर पहले ही सहमति बनी है, उन पर अमल में किसी तरह की देरी न हो। जिन मामलों पर चर्चा लंबित है, उनके लिए उत्तर प्रदेश के समकक्ष अधिकारियों से समन्वय कर जल्द से जल्द समाधान तैयार करें। राज्य के हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो मंत्रिस्तरीय स्तर पर संयुक्त टास्क फोर्स का गठन किया जा सकता है।