पटियाला के राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (RGNUL) में हालिया घटनाओं को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पंजाब राज्य महिला आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें कुलपति जयशंकर सिंह को तत्काल पद से हटाने की मांग की गई है। इस पत्र के माध्यम से आयोग ने कुलपति के व्यवहार को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसने विश्वविद्यालय की छात्राओं में तनाव और असंतोष उत्पन्न किया है।
छात्रों का प्रदर्शन और विश्वविद्यालय का बंद होना
हालात को देखते हुए विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया था, लेकिन जब शुक्रवार को विश्वविद्यालय खुला, तो छात्रों ने एक बार फिर कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छात्र कुलपति के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। 22 सितंबर को हुई घटना के बाद से छात्र विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं।
कुलपति पर आरोप: छात्राओं की निजता का उल्लंघन
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कुलपति ने महिला छात्रावास का औचक निरीक्षण करने के दौरान छात्राओं की निजता का उल्लंघन किया। उन्होंने छात्राओं के पहनावे पर सवाल उठाए, जिससे छात्राओं में आक्रोश फैल गया। कुलपति ने आरोपों से इनकार किया है, लेकिन छात्र इस मामले को लेकर एकजुट हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी है।
महिला आयोग की कार्रवाई
गुरुवार को, पंजाब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष राज लाली गिल ने राष्ट्रपति को संबोधित पत्र में लिखा, “मीडिया में आयी खबरों और छात्रों की शिकायतों के बाद आयोग ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। कुलपति के आचरण ने छात्राओं में काफी तनाव पैदा किया है और यह उनकी निजता और गरिमा का उल्लंघन माना गया है।”
आयोग की जांच और निष्कर्ष
राज लाली गिल ने बताया कि 25 सितंबर को आयोग की एक टीम ने विश्वविद्यालय का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य अधिकारियों, जिला प्रशासन और प्रभावित छात्रों से मुलाकात करना था। उन्होंने कहा, “कुलपति ने 22 सितंबर को वार्डन को सूचित किए बिना महिला छात्रावास का अघोषित निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान, उन्होंने छात्राओं के कमरों में प्रवेश किया और उनके पहनावे पर अनुचित और अपमानजनक टिप्पणी की।”
छात्राओं का मनोबल
इस विवाद ने विश्वविद्यालय की छात्राओं के मनोबल को प्रभावित किया है। कई छात्राओं ने मीडिया को बताया कि कुलपति के निरीक्षण ने उन्हें असहज महसूस कराया और इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। छात्राओं का कहना है कि विश्वविद्यालय एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहां वे सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस कर सकें, न कि एक ऐसा स्थान जहां उनकी निजता का उल्लंघन किया जाए।
कुलपति का बयान
कुलपति जयशंकर सिंह ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उनका उद्देश्य केवल छात्राओं के कल्याण को सुनिश्चित करना था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका निरीक्षण किसी गलत इरादे से नहीं था। “मैंने केवल यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सभी छात्राएं उचित तरीके से कपड़े पहन रही हैं। मेरे इरादे का गलत मतलब निकाला गया है,” उन्होंने कहा।