
दिल्ली में निजी स्कूलों की ओर से की जा रही मनमानी फीस वृद्धि अब एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुकी है। छात्रों के अभिभावकों में बढ़ती नाराजगी, राजनीतिक दलों की तल्ख प्रतिक्रियाएं, और दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियां इस विवाद को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं।
मामला तब और गंभीर हो गया जब प्रतिष्ठित स्कूल डीपीएस द्वारका ने फीस न भर पाने वाले बच्चों को कक्षा से बाहर कर लाइब्रेरी में बंद कर दिया। इसके बाद ना केवल अदालत ने सख्त टिप्पणी की बल्कि आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली सरकार ने भी निजी स्कूलों के खिलाफ तीखा रुख अपनाया।
हाईकोर्ट की दो टूक: “स्कूल बना है पैसे कमाने की मशीन”
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपीएस द्वारका के रवैये पर तीखी नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि स्कूल ने छात्रों को ‘सामान’ की तरह ट्रीट किया, जो कि न केवल अमानवीय है बल्कि शिक्षा की गरिमा के खिलाफ भी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे संस्थानों को बंद कर देना चाहिए।
अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए:
- छात्रों को दोबारा कक्षाओं में शामिल किया जाए।
- किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाए।
- वाट्सएप ग्रुप से हटाए गए छात्रों को दोबारा जोड़ा जाए।
- लाइब्रेरी में बंद करने जैसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
कोर्ट ने यहां तक कहा कि स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए।
सरकार का रुख: “600 स्कूलों से रिपोर्ट जुटाई, सख्त कार्रवाई होगी”
दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने इस मुद्दे पर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था के इतिहास में बड़ा दिन है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में पहली बार डीएम की अध्यक्षता वाली समिति ने डीपीएस के खिलाफ कार्रवाई की है।
सूद ने कहा: “हमने 7 दिन के भीतर 600 स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट जुटाई है। पहले जहां सिर्फ 75 स्कूलों का वार्षिक ऑडिट होता था, हमारी सरकार अब 1670 सभी स्कूलों का ऑडिट करवाएगी।”
उन्होंने बताया कि अभी तक 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजे जा चुके हैं और रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि चाहे स्कूल प्रशासक कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, जनहित के खिलाफ कोई कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
‘आप’ का विरोध: शिक्षा माफिया पर भाजपा की ढाल बनने का आरोप
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर सीधा हमला बोला है। वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया पर लिखा: “दिल्ली में बच्चों को पढ़ाना दुस्वप्न बन गया है। फीस की लूट अपने चरम पर है और भाजपा सरकार शिक्षा माफिया की ढाल बनकर खड़ी है।” पार्टी के अनुसार, मंगलवार को एक निजी स्कूल ने कुछ बच्चियों को फीस न भरने पर कक्षा में बंद कर दिया और बुधवार को स्कूल में घुसने नहीं दिया। ‘आप’ के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा: “मुख्यमंत्री की अपनी विधानसभा में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी है।” उन्होंने अभिभावकों के प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को यदि शिक्षा व्यवस्था को बचाना है, तो तुरंत सख्त कार्रवाई करनी होगी।
अतीत पर सवाल: पिछले सीएम और मंत्रियों की भूमिका पर उठे सवाल
आशीष सूद ने आतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि इतने वर्षों तक स्कूलों के अनिवार्य ऑडिट की अनदेखी क्यों की गई? उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सरकारों ने स्कूलों को बिना जांच के फीस बढ़ाने की छूट दी।
उन्होंने कहा: “हम अब न केवल वर्तमान फीस ढांचे की जांच कर रहे हैं, बल्कि पिछले लेन-देन की भी जांच की जाएगी और सभी को जवाबदेह ठहराया जाएगा।”
अभिभावकों का गुस्सा, सड़क पर प्रदर्शन
फीस वृद्धि से त्रस्त अभिभावकों ने दिल्ली में कई स्थानों पर प्रदर्शन किया है। हाथों में तख्तियां लिए माता-पिता सरकार से जवाब मांग रहे हैं – “हमारे बच्चों को शिक्षा से वंचित क्यों किया जा रहा है?”, “शिक्षा का निजीकरण कब रुकेगा?”, “मनमानी फीस पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही?”
ये प्रदर्शन अब सामाजिक आंदोलन का रूप लेने लगे हैं और सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि जल्द कोई ठोस नीति लाई जाए।