
बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आज बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और उसके दो साथियों सौरभ भास्कर एवं अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया। अदालत ने तीनों को हत्या (धारा 302), साक्ष्य मिटाने (धारा 201), और छेड़छाड़ (धारा 354) के आरोपों में उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है और अंकिता के परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया।
यह फैसला ऐसे समय आया जब उत्तराखंड और देशभर के नागरिकों की निगाहें अदालत पर टिकी थीं। यह मामला ना सिर्फ एक संवेदनशील आपराधिक प्रकरण रहा, बल्कि राज्य में कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर गहन बहस का कारण भी बना।
न्यायालय के फैसले से पहले का घटनाक्रम और सुरक्षा प्रबंध
कोर्ट के फैसले के ऐन पहले माहौल तनावपूर्ण हो उठा, जब सैकड़ों लोगों की भीड़ ने न्यायालय की ओर बढ़ने की कोशिश की और पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास किया। पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इस मौके पर गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों — देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी — से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। साथ ही डेढ़ कंपनी पीएसी भी मौके पर मौजूद रही।
कोतवाल रमेश तनवार के अनुसार, अदालत परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। कोई भी बाहरी व्यक्ति परिसर में प्रवेश नहीं कर सकता था। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस और प्रशासन ने कई दौर की बैठकें और मॉक ड्रिल भी आयोजित की थीं।
सुरक्षा को और सख्त करते हुए कोटद्वार के एसडीएम सोहन सिंह सैनी ने कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी। इस क्षेत्र में समूह में प्रवेश, नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। कोटद्वार में चार मजिस्ट्रेट और पौड़ी में एक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी।
सुनवाई की पूरी प्रक्रिया: दो साल आठ महीने लंबा इंतजार
इस हत्याकांड की सुनवाई 30 जनवरी 2023 को कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में शुरू हुई थी। मामले की जांच के लिए बनाई गई विशेष जांच टीम (SIT) ने जांच पूरी कर अभियोजन पक्ष की ओर से 500 पन्नों का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इस आरोपपत्र के आधार पर पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर हत्या और अन्य अपराधों के तहत आरोप तय किए गए।
28 मार्च 2023 से अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू हुई, जिसमें विवेचक समेत 47 गवाह अदालत में परीक्षित कराए गए। हालांकि एसआईटी ने 97 गवाहों की सूची बनाई थी, लेकिन उनमें से 47 को ही अदालत में पेश किया गया, जो इस केस की निर्णायक कड़ी बने।
सुनवाई का अंतिम चरण 19 मई 2025 को पूरा हुआ, जब विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने बचाव पक्ष की दलीलों का जवाब देकर बहस समाप्त की। इसके बाद अदालत ने फैसला सुनाने की तारीख 30 मई तय की थी।
परिजनों की नाराज़गी: ‘हत्यारों को मौत की सजा मिलनी चाहिए थी’
हालांकि अदालत के फैसले से यह प्रतीत होता है कि न्याय हुआ है, लेकिन अंकिता भंडारी के माता-पिता इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जिन लोगों ने हमारी बेटी को मौत दी, उन्हें भी मौत की सजा मिलनी चाहिए थी। हमें जिंदगी भर का दर्द दे दिया गया है। हम चाहते थे कि हमारे जीवित रहते इन हत्यारों को फांसी की सजा मिले। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।”
उनकी यह प्रतिक्रिया सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी समझी जा सकती है, क्योंकि यह मामला केवल एक हत्या नहीं था, बल्कि एक युवा लड़की के आत्मसम्मान, गरिमा और उसके सपनों का क्रूर अंत था।
क्या है अंकिता भंडारी हत्याकांड?
अंकिता भंडारी वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी, जिसका मालिक पुलकित आर्य था। 2022 में अचानक उसकी गुमशुदगी की खबर आई, जो कुछ ही दिनों बाद हत्या में बदल गई। पुलकित आर्य और उसके सहयोगियों पर आरोप था कि उन्होंने अंकिता को रिसॉर्ट के “वीआईपी” ग्राहकों को खुश करने का दबाव बनाया। जब उसने इनकार किया तो उसे ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर में धकेल कर हत्या कर दी गई।
इस निर्मम हत्याकांड ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया था। हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की थी। सोशल मीडिया पर भी यह मामला व्यापक चर्चा का विषय बना।