
पंजाब में एक बार फिर साइबर अपराधियों ने अपनी शातिर चाल से एक महिला को करोड़ों की ठगी का शिकार बना डाला। मामला श्री मुक्तसर साहिब जिले के बावा कॉलोनी का है, जहां रहने वाली कुसुम दूमड़ा नामक महिला से ठगों ने फर्जी CBI अधिकारी बनकर ₹1.27 करोड़ रुपये की साइबर ठगी कर डाली। पीड़िता को पहले डराया गया, फिर ब्लैकमेल किया गया और आखिरकार पांच दिनों तक चले इस मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न के बाद, महिला ने अपने बैंक खातों से ठगों के बताए खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
शुरूआत एक फोन कॉल से हुई
घटना की शुरुआत 22 जून को एक अनजान नंबर से आए फोन कॉल से हुई। कुसुम दूमड़ा के अनुसार, फोन पर मौजूद व्यक्ति ने दावा किया कि उनके नाम पर मुंबई में एक मोबाइल नंबर (98564-08360) चल रहा है, जिससे कई लोगों को अश्लील वीडियो और मैसेज भेजे जा रहे हैं। कॉलर ने आगे बताया कि इस सिलसिले में उनके खिलाफ मुंबई में 27 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं।
महिला जब घबरा गई, तो उसी कॉल में एक अन्य व्यक्ति को जोड़ा गया, जिसने खुद को विक्रम कुमार देशमाने बताया। उसने कहा कि वह एक वरिष्ठ अधिकारी है और पीड़िता के नाम से मुंबई के कैनरा बैंक में खाता है, जिसमें 6.8 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग ट्रांजैक्शन हुई है। उसने कहा कि यह केस अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पास चला गया है।
WhatsApp वीडियो कॉल से बढ़ा डर
मनोवैज्ञानिक रूप से महिला को डराने के लिए आरोपियों ने उसे एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर जोड़ा। इस कॉल में एक और व्यक्ति दिखाई दिया, जिसने अपना नाम समाधान पवार बताया और खुद को CBI का निदेशक बताया। उसने महिला को धमकाया कि यदि उसने इस मामले में किसी रिश्तेदार या दोस्त से बात की, तो पूरे परिवार को केस में घसीट लिया जाएगा।
बैंक खातों और संपत्ति की पूरी जानकारी ली गई
इसके बाद पीड़िता को लगातार धमकाकर, आरोपी उससे उसकी बैंकिंग और प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी हासिल करते गए। उसे यह भी कहा गया कि उसके सभी बैंक खातों को फ्रीज किया जा सकता है और उस पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत नरेश गोयल नामक व्यक्ति के केस में सहयोग का आरोप भी जुड़ सकता है।
इतना ही नहीं, उसे ये भी बताया गया कि इस केस में जमानत के लिए उसे अपनी पूरी संपत्ति गिरवी रखनी पड़ेगी। इन सब डरावनी बातों और लगातार धमकियों के चलते, महिला को यह यकीन हो गया कि वह किसी बड़े अपराध में फंस गई है।
आरटीजीएस से ट्रांसफर किए ₹1.27 करोड़
आरोपियों ने महिला को निर्देश दिया कि वह अपनी संपत्ति सुरक्षित रखने के लिए अपने खातों से पैसे ट्रांसफर कर दे। उन्होंने उसे आरटीजीएस के जरिए अलग-अलग खातों में पैसे भेजने को कहा। डर और भ्रम में फंसी महिला ने 23 जून से 27 जून के बीच अपने खातों से कुल ₹1,27,50,000 विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए।
ठगी का अहसास हुआ तो पुलिस में दी शिकायत
जब 27 जून के बाद महिला को कोई भी जवाब नहीं मिला और कॉल्स बंद हो गईं, तब उसे शक हुआ कि वह किसी बड़े फर्जीवाड़े का शिकार हो गई है। इसके बाद उसने तुरंत मुक्तसर साइबर क्राइम थाना में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ IPC और IT एक्ट की धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस और साइबर विशेषज्ञ सक्रिय
पुलिस का कहना है कि मामला अत्यंत संवेदनशील है और इसके पीछे किसी बड़े साइबर अपराध गिरोह का हाथ हो सकता है। मोबाइल नंबरों की लोकेशन, ट्रांजैक्शन की बैंक डिटेल्स और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ठगी के लिए उपयोग किए गए बैंक खाते विभिन्न राज्यों से संबंधित हैं।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी महिला या व्यक्ति को फर्जी अधिकारी बनकर करोड़ों की ठगी का शिकार बनाया गया हो। इस वर्ष सिर्फ मुक्तसर जिले में पांच से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा की पंचकूला पुलिस ने मुक्तसर से एक ऐसे ही गिरोह को पकड़ा था, जो CBI अधिकारी बनकर एक पूर्व सैनिक से 83 लाख रुपये की ठगी कर चुका था। इस गिरोह का सरगना मुक्तसर का रहने वाला था और उसके तार दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से जुड़े हुए थे।