
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वर्षों से चली आ रही ट्रैफिक जाम की समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने बिंदाल और रिस्पना नदियों के किनारे बनने वाली महत्वाकांक्षी 26 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है। इस परियोजना को लेकर लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) और एनएचएआई के बीच उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है, और इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
इस बहुप्रतीक्षित परियोजना की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पहले ही लोनिवि द्वारा तैयार की जा चुकी है। अब इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी एनएचएआई को दी जाएगी, जबकि भूमि अधिग्रहण और वन भूमि हस्तांतरण जैसे अहम प्रशासनिक कार्य लोनिवि द्वारा किए जाएंगे।
देहरादून की सबसे बड़ी समस्या का समाधान
देहरादून, जो तेजी से बढ़ती आबादी और शहरी विस्तार के चलते भीषण ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है, वहां यह एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है। शहर की दो प्रमुख नदियों—बिंदाल और रिस्पना—के दोनों किनारों पर 26 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य शहर के मध्य भागों से गुजरने वाले भारी और हल्के वाहनों के दबाव को कम करना है, जिससे मुख्य मार्गों पर जाम की स्थिति से राहत मिलेगी।
शहर के कई इलाकों में सुबह और शाम के समय वाहनों की लंबी कतारें आम दृश्य हैं। खासकर स्कूल, कॉलेज और ऑफिस समय के दौरान घंटों तक जाम में फंसे रहना स्थानीय नागरिकों के लिए रोजमर्रा की परेशानी बन चुकी है। बिंदाल-रिस्पना एलिवेटेड रोड इस संकट से निजात दिलाने का प्रयास है।
एनएचएआई को सौंपा जाएगा निर्माण कार्य
लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. पंकज पांडेय ने जानकारी दी कि परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर लोनिवि और एनएचएआई के बीच बैठक हो चुकी है, और एनएचएआई को इस एलिवेटेड रोड के निर्माण की जिम्मेदारी देने पर सहमति बन गई है। डॉ. पांडेय के अनुसार, “इस परियोजना में बड़े पैमाने पर कंक्रीट कार्य शामिल है, जिसके लिए रॉयल्टी और जीएसटी में छूट की मांग की गई थी। जीएसटी छूट पर सहमति बन चुकी है, जिससे परियोजना की लागत में कमी आएगी और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकेगा।”
भूमि अधिग्रहण और वन भूमि स्थानांतरण लोनिवि की जिम्मेदारी
परियोजना का सबसे बड़ा प्रशासनिक पहलू भूमि अधिग्रहण और वन भूमि स्थानांतरण है। चूंकि प्रस्तावित एलिवेटेड रोड का बड़ा हिस्सा बिंदाल और रिस्पना नदियों के किनारे से होकर गुजरेगा, इसलिए इसके लिए कुछ क्षेत्रों में वन भूमि के उपयोग की जरूरत होगी। यह प्रक्रिया तकनीकी और कानूनी रूप से जटिल होती है, लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में सक्रियता से काम कर रही है।
राज्य के लोक निर्माण विभाग को एनएचएआई को डीपीआर सौंपने के साथ-साथ यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वह वन भूमि हस्तांतरण और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करे, ताकि निर्माण कार्य समय पर शुरू किया जा सके।
केंद्रीय मंत्रालय ने दी परियोजना को स्वीकृति
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बिंदाल-रिस्पना एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए वित्तीय स्वीकृति दे दी है। इससे परियोजना को केंद्रीय सहायता प्राप्त होगी और इसे बड़े स्तर पर लागू किया जा सकेगा। यह स्वीकृति दर्शाती है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर देहरादून के ढांचागत विकास को गति देना चाहते हैं।
एनएचएआई इस परियोजना के तहत न केवल निर्माण कार्य करेगा, बल्कि आगे की योजना तैयार करने, टेंडर प्रक्रिया, पर्यावरणीय मूल्यांकन और तकनीकी निरीक्षण जैसे सभी जिम्मेदारियों को संभालेगा।