
दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने गुरुवार, 30 जनवरी 2025 को एक विवादित बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिल्ली स्थित आवास, कपूरथला हाउस, पर छापा मारा। हालांकि, चुनाव आयोग ने इस दावे को खारिज कर दिया और इससे जुड़े किसी भी छापे की पुष्टि नहीं की। यह मामला चुनाव प्रचार के दौरान बढ़ती बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का एक नया मोड़ साबित हुआ है।
रिटर्निंग ऑफिसर का बयान
चुनाव आयोग के रिटर्निंग ऑफिसर ओपी पांडे ने इस छापे की खबर को स्पष्ट रूप से खारिज किया। उन्होंने कहा कि उन्हें पैसे बांटने की शिकायत मिली थी, जिसके बाद जांच के लिए टीम (FST) को भेजा गया था। पांडे ने कहा, “हमें 100 मिनट के भीतर इस शिकायत का निपटारा करना था। हमारी टीम जांच के लिए पहुंची थी, लेकिन हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। हमने अनुरोध किया था कि हमें एक कैमरापर्सन के साथ प्रवेश करने दिया जाए ताकि जांच पूरी हो सके। शिकायत cVIGIL ऐप पर आई थी, जो चुनाव आयोग के निगरानी ऐप के तौर पर कार्य करता है।” इस बयान से यह साफ हो गया कि किसी छापे के बजाय यह एक सामान्य जांच प्रक्रिया का हिस्सा था, जो चुनाव आयोग की दिशा-निर्देशों के तहत की जा रही थी।
आतिशी का भाजपा पर निशाना
आतिशी ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग खुलेआम पैसे, जूते, और चादरें बांट रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसके विपरीत, वे एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के घर पर छापा मारने के लिए पहुंच जाते हैं। आतिशी ने कहा, “दिल्ली की जनता 5 फरवरी को इसका जवाब देगी। भाजपा की इस तानाशाही को अब सहन नहीं किया जाएगा।” उनके इस बयान में भाजपा द्वारा चुनावी व्यवहार को लेकर उठ रहे सवालों का खंडन था, जहां विपक्षी दल भाजपा पर चुनावी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग के सूत्रों ने इस मामले को पूरी तरह से नकारते हुए स्पष्ट किया कि, “भारत के चुनाव आयोग ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिल्ली स्थित आवास कपूरथला हाउस पर कोई छापा नहीं मारा है।” चुनाव आयोग ने इसे पूरी तरह से एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बताया, जिसका उद्देश्य चुनावी शुचिता और पारदर्शिता को बनाए रखना है। आयोग ने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार के चुनावी उल्लंघन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इस विशेष मामले में किसी प्रकार का छापा नहीं मारा गया।
चुनाव प्रचार में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस, भाजपा के साथ मिलकर AAP को हराने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ रही है, बल्कि भाजपा के साथ मिलकर AAP को हराने का प्रयास कर रही है।”
केजरीवाल ने कांग्रेस के आंतरिक विवादों का हवाला देते हुए दावा किया कि पार्टी हरियाणा में संभावित जीत के बावजूद चुनाव हार गई। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस समर्थकों से अपील की कि वे AAP को वोट दें और भाजपा के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाएं। उनका आरोप था कि कांग्रेस नेता भाजपा के खिलाफ नहीं बोलते, बल्कि हमेशा AAP पर हमला करते हैं।
भाजपा का जवाब और चुनावी घोषणापत्र
भजपा ने केजरीवाल के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। पार्टी ने कहा कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो वे AAP की कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह से जारी रखेंगे, जैसा कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है। भाजपा ने कहा कि उनकी योजनाओं में कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा और दिल्ली के लोगों की भलाई के लिए वे सभी योजनाओं को लागू करेंगे। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में दिल्लीवासियों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं का वादा किया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं पर जोर दिया गया है।
भा.ज.पा. ने इस चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से दिल्ली में अपनी सरकार बनने पर दिल्लीवासियों को और बेहतर सेवाएं देने का वादा किया है। पार्टी के नेताओं ने यह भी कहा कि AAP की सरकार ने अपनी योजनाओं के बावजूद दिल्ली में असली बदलाव नहीं किया है और उनकी पार्टी इस बदलाव को साकार करेगी।