दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए “पुजारी और ग्रंथी सम्मान योजना” की घोषणा की है। इस योजना के तहत, दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। यह घोषणा केजरीवाल ने दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में की, जहां उन्होंने इस योजना के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत भी की।
पुजारी और ग्रंथियों के सम्मान में पहल
अरविंद केजरीवाल ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह योजना उनके आध्यात्मिक योगदान और समाज में उनकी भूमिका के महत्व को स्वीकार करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि देश में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों का सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में अहम स्थान है। उनकी सेवा की बदौलत समाज की सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहती है, और उनके योगदान को यह सम्मान राशि दिया जाएगा।
केजरीवाल का संदेश
केजरीवाल ने अपनी योजना की घोषणा करते हुए ट्वीट किया, “आम आदमी पार्टी के जीतने पर दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को ₹18,000 प्रति माह की सम्मान राशि दी जाएगी। ये योजना समाज में उनके आध्यात्मिक योगदान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के उनके प्रयासों का सम्मान है। भाजपा वालों इसे रोकने की कोशिश मत करना, बहुत पाप लगेगा।”
यह बयान एक तरह से केजरीवाल ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए दिया, और भाजपा से अपील की कि वे इस योजना को रोकने की कोशिश न करें। उनका कहना था कि अगर विरोधी इस योजना को रोकने की कोशिश करते हैं तो उन्हें इसका भारी पाप लगेगा।
योजना का उद्देश्य और महत्व
केजरीवाल ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य पुजारियों और ग्रंथियों के कार्यों को सम्मान देना और उनके सामाजिक योगदान को सराहना है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में मंदिरों और गुरुद्वारों का महत्व बहुत अधिक है। ये स्थान न केवल धार्मिक आस्थाओं के केंद्र होते हैं, बल्कि समाज के सांस्कृतिक जीवन का अहम हिस्सा भी होते हैं। पुजारी और ग्रंथी समाज के इन संस्थाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनकी मेहनत और सेवा को सम्मान देने का यह कदम है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हमारे देश में धार्मिक स्थल केवल पूजा-अर्चना के लिए नहीं होते, बल्कि समाज को जोड़ने और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य भी करते हैं। पुजारियों और ग्रंथियों की भूमिका इन कार्यों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
योजना के तहत मिलने वाली सम्मान राशि
इस योजना के तहत, दिल्ली के हर मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। यह राशि उनके दिन-प्रतिदिन के कामकाजी जीवन को सहारा देने के लिए होगी और उनके धार्मिक कार्यों के प्रति समाज का आभार व्यक्त करने के रूप में दी जाएगी।
केजरीवाल ने यह भी बताया कि इस राशि का वितरण दिल्ली के सभी धार्मिक स्थलों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को किया जाएगा, ताकि सभी को समान रूप से इस सम्मान का लाभ मिल सके। इस योजना से दिल्ली के हजारों धार्मिक कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से योजना की शुरुआत
अरविंद केजरीवाल ने इस योजना का आधिकारिक शुभारंभ दिल्ली के प्रमुख हनुमान मंदिर से किया, जो कनॉट प्लेस में स्थित है। हनुमान मंदिर दिल्ली का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी अधिक रहती है। केजरीवाल ने हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना की और फिर इस योजना के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह योजना दिल्ली के हर मंदिर और गुरुद्वारा साहिब तक पहुंचेगी, और इसका लाभ सभी धार्मिक कर्मचारियों को मिलेगा।
इस दौरान उनके साथ कई आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। उन्होंने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बारे में बताया और श्रद्धालुओं और धार्मिक कर्मचारियों को इस योजना का लाभ उठाने की अपील की।
विरोधियों पर निशाना
केजरीवाल ने इस योजना के संदर्भ में भाजपा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह योजना रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे पाप लगेगा। यह बयान एक प्रकार से राजनीतिक विरोधियों को चेतावनी देने जैसा था। केजरीवाल का मानना है कि भाजपा ने हमेशा दिल्ली के धार्मिक संस्थाओं और कर्मचारियों को नजरअंदाज किया है, लेकिन आम आदमी पार्टी इस वर्ग के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।
उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि इस योजना का उद्देश्य केवल धार्मिक सम्मान देना नहीं है, बल्कि समाज के उन लोगों को आर्थिक मदद और समर्थन प्रदान करना है, जो बिना किसी भेदभाव के अपनी सेवा जारी रखते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान को सराहा जाएगा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक मदद देना नहीं है, बल्कि यह उन पुजारियों और ग्रंथियों के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान को भी सराहना है, जो न सिर्फ धार्मिक कार्यों को पूरा करते हैं, बल्कि समाज में आदर्श और अच्छे संस्कारों को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे धार्मिक स्थल हमारे समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने का अहम हिस्सा हैं, और इनकी देखभाल करने वाले पुजारी और ग्रंथी हमारे समाज की धरोहर हैं।”