दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच, राजधानी में एक बार फिर सियासी पत्र युद्ध (Letter War) शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं के बीच एक-दूसरे को पत्र लिखने का सिलसिला तेज हो गया है। हाल ही में केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर भाजपा और आरएसएस की नीतियों पर सवाल उठाए, तो इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल को नए साल पर पत्र लिखकर उन्हें कुछ संकल्प लेने की सलाह दी। इस पत्र युद्ध ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और भी तंग कर दिया है, और दोनों पक्षों के बीच तीखी बयानबाजी का दौर जारी है।
केजरीवाल का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने नए साल के पहले दिन ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर भाजपा की नीतियों पर कड़ी आलोचना की। केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में कई सवाल उठाए और भाजपा के नेतृत्व के बारे में आरएसएस की स्थिति जानना चाही।
केजरीवाल ने लिखा, “भाजपा ने हाल ही में जो भी गलत काम किए हैं, क्या आरएसएस उसका समर्थन करता है? क्या आरएसएस उन नेताओं को समर्थन करता है जो खुलेआम पैसे बांट रहे हैं?” इसके साथ ही केजरीवाल ने पूछा, “क्या आरएसएस को नहीं लगता कि भाजपा द्वारा दलितों और पूर्वांचलियों के वोट काटने की कोशिश जनतंत्र के लिए खतरे की बात है?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या आरएसएस को यह नहीं लगता कि भाजपा जनतंत्र को कमजोर कर रही है?
केजरीवाल के इस पत्र के बाद से सियासी माहौल गरम हो गया है, और दोनों पक्षों के बीच वार-पलटवार का सिलसिला जारी है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का जवाब
इसके बाद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उन्हें नए साल की शुभकामनाएं दीं। सचदेवा ने अपने पत्र में केजरीवाल से कुछ संकल्प लेने की अपील की। उन्होंने केजरीवाल से कहा कि वह अपनी पुरानी आदतें छोड़ें, जिनमें झूठ बोलना और छल-कपट करना शामिल है।
सचदेवा ने पत्र में लिखा, “आपको नए साल के दिन उन बुरी आदतों को छोड़ने और अच्छे कार्यों की शुरुआत करने का संकल्प लेना चाहिए। हम दिल्लीवाले आशा करते हैं कि आप इस साल कम से कम पांच संकल्प लेंगे।”
सचदेवा ने वह पांच संकल्प इस प्रकार गिनाए:
- “मैं विश्वास करता हूं कि आप अब कभी भी अपने बच्चों की झूठी कसम नहीं खाएंगे।”
- “आप दिल्ली की महिलाओं, बुजुर्गों और धार्मिक जनों से झूठे वादे करना बंद करेंगे।”
- “आप दिल्ली में शराब को प्रोत्साहन देने के लिए दिल्ली वालों से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगेंगे।”
- “आप यमुना नदी की सफाई के लिए किए गए झूठे आश्वासनों और भ्रष्टाचार के लिए माफी मांगेंगे।”
- “आप राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश विरोधी ताकतों से मिलना और उनसे चंदा लेना बंद करेंगे।”
सचदेवा ने पत्र के अंत में आशा जताई कि केजरीवाल इन संकल्पों को अपनाकर अपने जीवन में सार्थक सुधार लाएंगे और राजनीति में सच्चाई को बढ़ावा देंगे।
आप की प्रतिक्रिया
भाजपा के इस पत्र के जवाब में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भाजपा स्वस्थ राजनीति करेगी और झूठी राजनीति से दूरी बनाए रखेगी। कक्कड़ ने कहा, “आशा है कि भाजपा इस साल भी दिल्ली में केजरीवाल की कल्याणकारी योजनाओं जैसे मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी को अपने (भा.ज.पा. शासित) राज्यों में भी अपनाएगी।”
प्रियंका कक्कड़ ने कहा, “हमारी नई गारंटी, जैसे महिलाओं के लिए 2100 रुपये प्रति माह और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज, पर भाजपा बाधा नहीं डालेगी। हम हर जन कल्याणकारी योजना में भाजपा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं।”
भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल का तंज
इसी बीच, दिल्ली भाजपा के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी केजरीवाल पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल घोषणाएं करने में माहिर हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने में नाकाम रहते हैं। खंडेलवाल ने कहा, “पहले केजरीवाल ने इमामों के लिए पैसे की घोषणा की थी, लेकिन वह उसे पूरा नहीं कर पाए। अब वे पुजारियों और ग्रंथियों के लिए पैसे देने की बात कर रहे हैं। यह सब सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है। उनका खजाना खाली है, और वे ऐसा कुछ नहीं करने वाले।”
खंडेलवाल ने कहा कि केजरीवाल अपने घोषणा पत्रों को केवल चुनावी लाभ के लिए जारी करते हैं, लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते। उनके इरादे कभी भी गंभीर नहीं होते, और यह केवल दिल्लीवासियों को धोखा देने का एक तरीका है।
सियासी माहौल में गर्मी
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजधानी में सियासी माहौल और भी गर्म हो गया है। भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच पत्र युद्ध ने न केवल दोनों पार्टी नेताओं के बीच संघर्ष को और तेज कर दिया है, बल्कि दिल्ली के चुनावी मुद्दों पर भी नई बहस को जन्म दिया है।
एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपने विकास कार्यों को प्रमुख मुद्दा बनाकर चुनावी रण में उतरने की रणनीति अपनाई है, वहीं भाजपा ने केजरीवाल सरकार के फैसलों पर सवाल उठाकर उन्हें कटघरे में खड़ा किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में यह पत्र युद्ध किस तरह की राजनीति को जन्म देता है और दिल्लीवाले किसे अपनी बहुमत से सत्ता सौंपते हैं।
समापन
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच पत्र युद्ध ने राजनीतिक माहौल को और अधिक गरम कर दिया है। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी है, जो चुनावी रणनीतियों का हिस्सा मानी जा रही हैं। अब देखना होगा कि ये पत्र युद्ध दिल्लीवासियों की राजनीतिक समझ को कैसे प्रभावित करता है और आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों को किस तरह का समर्थन मिलता है।