
उत्तराखंड में मानसून की पहली ही बारिश के बाद पहाड़ों में तबाही का मंजर दिखने लगा है। सोमवार दोपहर को यमुनोत्री धाम के लिए जाने वाले जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर नौ कैंची के पास भयंकर भूस्खलन हुआ, जिसमें कई तीर्थयात्री मलबे में दब गए। अब तक एक बच्ची की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि मुंबई निवासी एक यात्री को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया है।
राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और पुलिस-प्रशासन मौके पर राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। घटना के बाद प्रशासन ने एहतियातन यात्रा मार्ग पर आवाजाही को रोक दिया है और यमुनोत्री की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया है।
भूस्खलन की विभीषिका: श्रद्धालु दबे, यात्रा रोकी गई
जानकीचट्टी चौकी प्रभारी गंभीर सिंह तोमर ने बताया कि सोमवार दोपहर नौ कैंची के पास अचानक पहाड़ी दरक गई। उस वक्त वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जो यमुनोत्री धाम की ओर जा रहे थे। भूस्खलन के बाद कई लोग मलबे में दब गए।
एसडीआरएफ की त्वरित प्रतिक्रिया टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान शुरू किया। मलबे से अब तक एक घायल यात्री रसिक (60 वर्ष) को निकाला गया, जिनके सिर में चोटें आई हैं। चिकित्सक डॉ. हरदेव सिंह पंवार के अनुसार, घायल यात्री की हालत स्थिर है और वह खतरे से बाहर हैं।
हालांकि, इस हादसे में एक बच्ची की मौत की दुखद खबर भी सामने आई है। मलबे से बच्ची का शव बरामद कर लिया गया है। शेष दबे हुए लोगों की तलाश और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया, धाम की ओर रोक
एसडीएम बृजेश कुमार तिवारी ने बताया कि यमुनोत्री धाम की ओर फंसे सैकड़ों यात्रियों को SDRF की सहायता से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है। साथ ही, यमुनोत्री की ओर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को फिलहाल रोक दिया गया है। भूस्खलन प्रभावित इलाके में किसी भी तरह की आवाजाही पर पूर्ण रोक है।
स्थानीय प्रशासन द्वारा क्षेत्र में चेतावनी जारी कर दी गई है और यात्रियों को मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा शुरू करने की सलाह दी गई है।
भारी बारिश का अलर्ट, 26 जून तक मौसम विभाग का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने 22 से 26 जून के बीच उत्तराखंड के कई जिलों—देहरादून, नैनीताल, टिहरी और चंपावत—में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसको देखते हुए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के अंतर्गत राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
पत्र में आईआरएस प्रणाली के अंतर्गत नामित अधिकारियों और विभागीय नोडल अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया है ताकि आपातकालीन स्थिति में त्वरित राहत और बचाव कार्य किए जा सकें।
गंगोत्री हाईवे पर संकट: सुक्की के सात नाले बने हर साल की मुसीबत
मानसून की इस तबाही के बीच गंगोत्री हाईवे भी एक बड़े खतरे के रूप में सामने आया है। हर्षिल घाटी से पहले सुक्की के पास सात ऐसे नाले हैं जो हर वर्ष बरसात में जानलेवा साबित होते हैं। इन नालों पर अब तक बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन (BRO) द्वारा कोई स्थायी सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया है, जिससे हर साल बारिश में सड़कें बंद हो जाती हैं और सेना, आईटीबीपी के जवानों सहित स्थानीय ग्रामीणों और तीर्थयात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय निवासी संजय राणा, मनोज नेगी, दीपक राणा और अन्य लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार जिला प्रशासन और बीआरओ से इन नालों पर सुरक्षात्मक कार्य करने की मांग की, लेकिन हर साल सिर्फ अस्थायी समाधान ही किए जाते हैं। नतीजतन, बरसात के दिनों में गंगोत्री हाईवे बार-बार बंद हो जाता है।