
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के चौथे दिन सोमवार को ‘पवित्र ग्रंथों के खिलाफ अपराध रोकथाम विधेयक-2025’ पर जोरदार बहस देखने को मिली। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा सदन में प्रस्तुत इस बहुप्रतीक्षित विधेयक को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और विधायकों ने अपने विचार रखे। चर्चा के बाद सर्वसम्मति से तय किया गया कि इस विधेयक को और अधिक व्यापक और सर्वसमावेशी बनाने के लिए सेलेक्ट कमेटी को सौंपा जाएगा। छह महीने के भीतर यह कमेटी आम जनता और धार्मिक संगठनों से सुझाव लेकर अपनी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करेगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की संयमित अपील
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि पवित्र ग्रंथों की बेअदबी एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर विषय है, जिस पर बिना जल्दबाज़ी के विचार होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी धार्मिक संगठनों, धार्मिक जत्थेबंदियों और सामाजिक समूहों से विधेयक पर राय ली जानी चाहिए। मान ने कहा, “हम सभी की आस्था के प्रतीकों की गरिमा बनाए रखने के लिए कड़े कानून बनाना चाहते हैं, लेकिन यह तभी प्रभावी होगा जब सभी पक्षों की सहमति और सुझाव इसमें शामिल किए जाएं।” उन्होंने इस दिशा में एक समयसीमा तय करने की भी बात कही ताकि विधेयक लंबे समय तक लंबित न रहे।
सेलेक्ट कमेटी का गठन, सभी दलों को प्रतिनिधित्व
सदन में हुई बहस के उपरांत विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने यह घोषणा की कि विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को सौंपा जाएगा और कमेटी के गठन की जिम्मेदारी वे स्वयं लेंगे। इस कमेटी में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा ताकि बहुपक्षीय दृष्टिकोण सामने आए और विधेयक को निष्पक्ष एवं प्रभावशाली बनाया जा सके। स्पीकर ने कहा, “यह कानून पूरे समाज की आस्था और भावनाओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए हमें इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए, बल्कि मिलकर एक मजबूत कानून बनाना चाहिए।”
विधायकों की राय: सजा और प्रक्रिया पर सुझाव
विधेयकों ने विधेयक में प्रस्तावित सजा और जांच प्रक्रिया को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, राणा इंदर प्रताप सिंह (विधायक) ने कहा कि केवल 10 साल की सजा पर्याप्त नहीं है। ऐसे अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा निर्धारित की जानी चाहिए। बेअदबी की कोशिश पर तीन साल की सजा को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है। अश्वनी शर्मा (भाजपा विधायक) ने मांग की कि केवल चार धार्मिक ग्रंथों तक विधेयक को सीमित न रखा जाए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में अनेकों पवित्र ग्रंथ हैं, जैसे रामायण, महाभारत आदि, जिन्हें भी विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए। प्रताप सिंह बाजवा (नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस) ने विधेयक में जांच प्रक्रिया को समयबद्ध बनाए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी बेअदबी के मामले की जांच 30 दिन के भीतर पूरी की जाए, और यदि विशेष परिस्थिति हो तो एसएसपी की अनुमति से 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए। इसके आगे जांच का विस्तार केवल डीजीपी की मंजूरी से ही हो सके।
विधानसभा के बाहर राजनीतिक तनाव, प्रदर्शन हुआ
विधानसभा के भीतर जहां विधेयक पर गंभीर बहस चल रही थी, वहीं बाहर का माहौल राजनीतिक तनाव से भरा हुआ था। आम आदमी पार्टी के निलंबित विधायक अमरजीत सिंह संदोआ अपने समर्थकों के साथ विधानसभा परिसर के बाहर प्रदर्शन करते नजर आए।
उन्होंने पार्टी के रोपड़ से विधायक दिनेश चड्ढा के खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें सार्वजनिक मंच पर घेरने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप कर प्रदर्शनकारियों को हटाया और स्थिति को नियंत्रण में लिया। संदोआ ने अपनी निलंबन के खिलाफ खुलकर पार्टी नेतृत्व को चुनौती दी और कहा कि वे “आप” के भीतर लोकतंत्र और पारदर्शिता की लड़ाई लड़ रहे हैं।
विधेयक की प्रमुख बातें:
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पेश किए गए विधेयक में कई सख्त प्रावधान शामिल हैं, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, बाइबल, कुरान शरीफ सहित अन्य पवित्र ग्रंथों की बेअदबी पर कड़ी सजा का प्रावधान है। दोषी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। दोषी को पैरोल नहीं दी जाएगी। बेअदबी की कोशिश करने वालों को 3 से 5 साल की कैद का प्रावधान। उकसाने वाले को अपराध की प्रकृति के अनुसार सजा। राज्य में विशेष अदालतें गठित की जाएंगी जो फास्ट ट्रैक अदालत की तरह काम करेंगी, और केवल बेअदबी के मामलों की सुनवाई करेंगी।
मुख्यमंत्री का बयान: सख्त कानून समाज विरोधियों को रोकेगा
मुख्यमंत्री मान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह कानून केवल धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ सख्त संदेश है। जो भी व्यक्ति किसी भी धर्म के ग्रंथ का अपमान करेगा, उसे अब कड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी।”
उन्होंने कहा कि पंजाब में पिछले कुछ वर्षों में कई बार पवित्र ग्रंथों की बेअदबी की घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाया। अब समय आ गया है कि ऐसे अपराधियों को कानून के शिकंजे में लिया जाए।