
उत्तराखंड के यमुनोत्री क्षेत्र में आपदा की स्थिति थमने का नाम नहीं ले रही है। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। ताज़ा हालातों में स्याना चट्टी क्षेत्र में यमुना नदी का पानी इतना बढ़ गया है कि मोटर पुल के ऊपर से बहने लगा है। इस कारण क्षेत्र के अधिकांश हिस्से जलमग्न हो गए हैं और लोगों में भारी दहशत का माहौल है।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर है, लेकिन लगातार बिगड़ते मौसम और तीव्र बहाव के कारण राहत और बचाव कार्यों में भी कठिनाइयाँ आ रही हैं। जिला अधिकारी प्रशांत आर्य आपदा प्रभावित क्षेत्र स्याना चट्टी के लिए मौके पर रवाना हो गए हैं।
स्याना चट्टी: बाढ़ का केंद्र बना कस्बा
स्याना चट्टी यमुनोत्री मार्ग पर स्थित एक प्रमुख पड़ाव है, जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालिया आपदा में यमुना नदी में भारी मात्रा में मलबा आने के कारण जलस्तर असामान्य रूप से बढ़ गया, जिससे पूरा कस्बा पानी में डूब गया है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यमुना नदी का बहाव इतना तेज़ है कि पुल के ऊपर से पानी बहना शुरू हो गया है। इससे न सिर्फ वाहनों की आवाजाही बाधित हुई है, बल्कि पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमने इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा। पुल पर से पानी बहता देख डर के मारे कई लोग ऊँचाई वाले स्थानों की ओर भागे। हमारे घरों में पानी घुस चुका है और बिजली भी काट दी गई है।”
प्रशासनिक परिसरों और स्कूलों में भी पानी भरा
प्राकृतिक आपदा की इस मार से सरकारी इमारतें भी नहीं बच सकीं। गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) का बंगला पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। वहां रह रहे अधिकारी और कर्मचारी किसी तरह अपनी जान बचाकर निकले हैं। वहीं, स्याना चट्टी स्थित एक स्कूल परिसर भी पानी से पूरी तरह भर गया है। स्कूल के फर्नीचर, रिकॉर्ड और शिक्षण सामग्री पानी में बह गई है। छात्रों की पढ़ाई भी अनिश्चितकाल के लिए बाधित हो गई है।
यमुनोत्री हाईवे जगह-जगह अवरुद्ध
यात्रियों और स्थानीय लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं क्योंकि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 134) कई स्थानों पर बाधित हो गया है। स्याना चट्टी, जर्जर गाड़, बनास और नारद चट्टी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर मलबा और पानी के कारण यातायात पूरी तरह ठप है।
इन रास्तों से न केवल पर्यटक और श्रद्धालु यमुनोत्री धाम की ओर जाते हैं, बल्कि यही मार्ग स्थानीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा भी है। सड़कें बंद होने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है।
गंगोत्री हाईवे भी बंद, संपर्क टूटा
केवल यमुनोत्री ही नहीं, बल्कि गंगोत्री जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग भी आपदा से अछूता नहीं रहा। धरासू बैंड और नेताला के पास भारी मलबा आने से मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। प्रशासन का कहना है कि मार्गों को बहाल करने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन लगातार बारिश और पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन के कारण स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है।
प्रशासन अलर्ट पर, राहत कार्य शुरू
जिला अधिकारी प्रशांत आर्य खुद मौके के लिए रवाना हो चुके हैं। आपदा प्रबंधन दल, NDRF, SDRF और लोक निर्माण विभाग की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “प्राथमिकता यह है कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। जिन क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ा है, वहां से लोगों को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक मार्गों की पहचान की जा रही ह