
बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कांवड़ यात्रा को लेकर हो रही आलोचनाओं पर तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म पर टिप्पणी करना बेहद आसान और आम हो गया है, जबकि अन्य मजहबों और धार्मिक प्रथाओं पर कोई सवाल नहीं उठाता। महंत शास्त्री ने विशेष बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों को बार-बार विवादों में घसीटा जाना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म की आस्थाओं को कमजोर करना है।
“हज या रोजा पर कोई सवाल नहीं, पर दीपावली आए तो प्रदूषण की बात होती है”
धीरेंद्र शास्त्री ने बेहद सख्त लहजे में कहा: “हज यात्रा पर कोई उंगली नहीं उठाता, जकात पर कोई सवाल नहीं करता, रोजा पर कोई टिप्पणी नहीं करता। लेकिन जैसे ही दीपावली आती है, प्रदूषण का मुद्दा उठाया जाता है। होली आएगी तो पानी की बर्बादी की बात होगी। अब कांवड़ यात्रा शुरू हुई तो उसे लेकर तरह-तरह की बयानबाज़ी शुरू हो गई है।”उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक आयोजनों में हर समाज, मजहब में अनुशासनहीनता हो सकती है, लेकिन इससे पूरे समुदाय या परंपरा पर सवाल उठाना अनुचित है।
“सनातन धर्म को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है”
महंत शास्त्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि सनातन धर्म को सॉफ्ट टारगेट बनाया जा रहा है। उनके अनुसार, “कभी मंदिरों को लेकर विवाद, कभी देवी-देवताओं के चरित्रों पर प्रश्न, तो कभी धार्मिक आयोजनों को लेकर आलोचना— ये सब एक बड़ी योजना का हिस्सा हैं।” उन्होंने कहा:“सनातन धर्म से लोगों की आस्था हिलाई जाए, आपसी विद्वेष पैदा किया जाए, इसलिए समय-समय पर भगवानों पर, मंदिरों पर, पर्वों पर और आस्थाओं पर सवाल खड़े किए जाते हैं।”
“कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कांवड़ यात्रा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह यात्रा भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने कहा: “कोई पैदल जा रहा है, कोई डीजे बजा रहा है, कोई गंगा जल लेकर भाग रहा है — यह उनकी निजी श्रद्धा है। इसमें गलत या सही ठहराना बाहरी लोगों का काम नहीं। धर्म और आस्था के मामलों में टीका-टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।”
“हर समाज में अच्छे-बुरे लोग होते हैं, लेकिन धर्म को दोष देना सही नहीं”
बागेश्वर धाम सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि समाज का कोई भी वर्ग पूर्णत: निर्दोष नहीं होता। उन्होंने कहा: “नेताओं में भी अच्छे-बुरे होते हैं, कलाकारों में भी होते हैं, संतों में भी होते हैं। कुछ साधु होते हैं, कुछ असाधु होते हैं। पर इसका मतलब यह नहीं कि पूरे सनातन धर्म पर हमला किया जाए।” धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि व्यक्तिगत घटनाओं को धार्मिक पहचान से जोड़कर पूरे समुदाय को बदनाम करना न केवल गलत है, बल्कि समाज को बांटने वाला कृत्य है।
“जो लोग कांवड़ यात्रा पर उंगली उठाते हैं, वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं”
अपने बयान में शास्त्री ने कांवड़ यात्रा पर टिप्पणी करने वालों को मानसिक रूप से विक्षिप्त और बीमार तक कह दिया। उन्होंने कहा:“जो लोग कांवड़ यात्रा पर उंगली उठा रहे हैं, वो विक्षिप्त हैं। उन्हें मानसिक इलाज की जरूरत है। वे यह नहीं समझते कि यह श्रद्धा और भक्ति की बात है।” उन्होंने आगे कहा कि किसी के श्रद्धा के भाव को लेकर टिप्पणी करना न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि संवैधानिक रूप से भी स्वतंत्रता का उल्लंघन है।