
देहरादून अब आपदा प्रबंधन और हवाई आपात स्थितियों में और अधिक तैयार नजर आएगा। जिला प्रशासन ने शहर में तेज आवाज वाले 15 नए इलेक्ट्रॉनिक सायरन लगाने की योजना को मंजूरी दे दी है। इस कार्य के लिए जिलाधिकारी सविन बंसल ने 25 लाख रुपये का बजट जारी कर दिया है। ये सायरन किसी भी आपात स्थिति में, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या हवाई हमला, तुरंत और प्रभावी चेतावनी देने में सक्षम होंगे।
यह निर्णय शनिवार को आयोजित एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद लिया गया, जिसमें मौजूदा सायरन सिस्टम की समीक्षा की गई। मॉक ड्रिल के दौरान यह सामने आया था कि वर्तमान में शहर में लगे सायरनों की आवाज बहुत कम है, जिससे लोगों को आपात सूचना समय पर नहीं मिल पा रही थी। इसी आधार पर तेज आवाज वाले आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सायरनों की स्थापना का फैसला लिया गया।
हाई-पावर सायरनों से बढ़ेगी चेतावनी प्रणाली की प्रभावशीलता
जिलाधिकारी सविन बंसल के अनुसार, जिन 15 सायरनों को लगाया जाएगा, उनमें से 10 सायरन की ध्वनि क्षमता 8 किलोमीटर तक होगी, जबकि 5 सायरन की आवाज 16 किलोमीटर तक जा सकेगी। यह खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी साबित होंगे जो घनी आबादी वाले हैं या जहां भौगोलिक कारणों से सूचना के संप्रेषण में बाधा आती है।
सभी सायरन पुलिस थानों और चौकियों पर लगाए जाएंगे ताकि वे न केवल प्रशासनिक नियंत्रण में रहें, बल्कि तुरंत सक्रिय भी किए जा सकें। इन सायरनों को कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा जाएगा, जहां से एक बटन दबाकर सभी सायरनों को एक साथ बजाया जा सकेगा।
अनटाइड फंड से आया बजट, खरीद प्रक्रिया शुरू
जिलाधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के लिए बजट ‘अनटाइड फंड’ से जारी किया गया है, जिससे ऐसी जरूरतों के लिए लचीलापन बना रहता है। सायरनों की खरीद के लिए क्रय आदेश (पर्चेज ऑर्डर) भी जारी कर दिया गया है और जल्द ही इनकी स्थापना का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
इस कदम से न केवल प्रशासन की चेतावनी प्रणाली सुदृढ़ होगी, बल्कि आम जनता को आपात परिस्थितियों में तुरंत सतर्क किया जा सकेगा। यह पूरे शहर में एकीकृत और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली की ओर एक बड़ा कदम है।
रैपिड कम्युनिकेशन सिस्टम भी होगा स्थापित
सायरन सिस्टम के साथ ही जिला प्रशासन त्वरित संचार प्रणाली (Rapid Communication System) स्थापित करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। डीएम बंसल के अनुसार, इसके लिए भी जल्द ही बजट जारी कर दिया जाएगा और प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं।
इस प्रणाली के तहत न केवल सायरन, बल्कि SMS, मोबाइल अलर्ट, सार्वजनिक प्रसारण (Public Address System) और सोशल मीडिया के जरिये भी आपातकालीन सूचना जनता तक पहुंचेगी। इसका मकसद है कि किसी भी आपदा की स्थिति में बहुस्तरीय और तत्काल सूचना प्रसारण संभव हो सके।
क्यों जरूरी थे तेज आवाज वाले सायरन?
पिछले कुछ वर्षों में देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप, भारी बारिश, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं लगातार सामने आई हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की सिफारिशों में सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
हाल ही में हुई एक मॉक ड्रिल के दौरान यह पाया गया कि पुराने सायरनों की आवाज सीमित क्षेत्र में ही सुनाई देती है, जिससे जनता तक संदेश पहुंचने में देरी होती है। इसे देखते हुए उच्च क्षमता वाले सायरनों की आवश्यकता महसूस की गई।