एक समय था जब राजा-महाराजा कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए करते थे, लेकिन आज यह पक्षी सेहत के लिए गंभीर खतरे का कारण बन रहे हैं। भारत में कबूतरों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है, खासकर शहरों में जहां लोग इन्हें दाना डालने का शौक रखते हैं। दिल्ली का इंडिया गेट हो या मुंबई का गेटवे ऑफ इंडिया, हर जगह लोग कबूतरों को दाना डालते हैं। यहां तक कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कबूतरों की रेस भी होती है, जो इस पक्षी के प्रति लोगों के प्यार को दर्शाती है।
लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि यह मासूम सा दिखने वाला पक्षी दरअसल सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। बीते कुछ वर्षों में, कबूतरों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण, दिल्ली नगर निगम (MCD) ने कबूतरों को दाना देने पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। इसकी वजह कबूतरों की बढ़ती संख्या और उनसे होने वाली बीमारियों की आशंका बताई जा रही है।
कबूतरों को दाना देने से बढ़ रही है उनकी संख्या
भारतीय पक्षी सर्वेक्षण रिपोर्ट (स्टेट ऑफ इंडिया बर्ड्स) के आंकड़ों के मुताबिक, 2000 से 2023 तक भारत में कबूतरों की संख्या में लगभग 150% की बढ़ोतरी हुई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण लोगों द्वारा कबूतरों को दाना डालने की आदत है, जो उन्हें आकर्षित करती है और उनकी संख्या में वृद्धि होती है। खासकर, मुंबई के कुछ इलाकों में इस पर रोक भी लगाई जा चुकी है, लेकिन यह समस्या अब तक हल नहीं हो पाई है।
कबूतरों से होने वाली बीमारियां: स्वास्थ्य पर असर
कबूतरों के साथ बढ़ते संपर्क के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन पक्षियों के संपर्क से शारीरिक समस्याएं जैसे श्वसन तंत्र में इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन और बैक्टीरियल संक्रमण हो सकते हैं।
फेफड़ों पर असर: हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन विभाग के प्रमुख, डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार, कबूतरों की बीट (पक्षियों की मल) फेफड़ों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। कबूतरों की बीट में एवियन एंटीजंस (पक्षी से संबंधित एंटीजन) होते हैं, जो हवा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और नाक से होते हुए फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (HSN) हो सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों का क्षतिग्रस्त होना संभव है।
लोगों के फेफड़ों पर कबूतरों की बीट का असर तब और भी गंभीर हो सकता है, जब यह संक्रमण लंबे समय तक शरीर में बना रहे। इस स्थिति में, यदि रोगी की हालत गंभीर हो जाए तो उन्हें फेफड़े ट्रांसप्लांट भी करवाना पड़ सकता है। कबूतरों से होने वाली ये स्वास्थ्य समस्याएं खासतौर पर उन लोगों के लिए गंभीर होती हैं जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या जो अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित होते हैं।
अस्थमा और एलर्जी के रोगियों के लिए खतरा
अस्थमा के मरीजों को कबूतरों से दूर रहना चाहिए। उनका इन्फेक्शन और बीट इनकी बीमारी को और बढ़ा सकते हैं। अस्थमा के मरीजों के फेफड़े पहले से ही कमजोर होते हैं, और कबूतरों से संक्रमण उनकी स्थिति को और खराब कर सकता है। इसलिए, इन्हें कबूतरों से संपर्क न करने की सलाह दी जाती है।
बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण: E-Coli से लेकर कैंडिडिआसिस तक
कबूतरों की बीट से ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया भी फैल सकते हैं, जो पानी, खाद्य सामग्री या खेतों में गिरने पर इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इससे जी-मिचलाना, सिरदर्द, बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कबूतरों की बीट से फंगल इंफेक्शन भी हो सकते हैं, जिनमें कैंडिडिआसिस प्रमुख है। यह एक फंगल संक्रमण है जो कैंडिडा यीस्ट के कारण होता है और यह मुंह, त्वचा, प्राइवेट पार्ट्स और नाखूनों को प्रभावित कर सकता है।
यदि यह संक्रमण त्वचा या प्राइवेट एरिया को प्रभावित करे, तो इससे जलन, खुजली और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस कारण महिलाओं को यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) और डिस्चार्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
कबूतरों से बचाव के उपाय
कबूतरों के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
कबूतरों को दाना देने से बचें
यह सबसे प्रभावी उपाय है। लोगों को कबूतरों को दाना डालने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल पक्षियों की संख्या बढ़ती है, बल्कि यह उनके संपर्क में आने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ाता है।
ग्लव्स और मास्क का उपयोग
जो लोग कबूतरों को दाना देते हैं, उन्हें हमेशा ग्लव्स और मास्क पहनने चाहिए। इससे संक्रमण का खतरा कम होगा और शरीर के संपर्क में आने से बचाव रहेगा। इसके अलावा, अगर किसी के पास कबूतर हैं, तो उन्हें खुले स्थानों पर दाना देने के बजाय तुरंत घर में वापस आ जाना चाहिए और कबूतरों को खुले आंगन या छत पर न पालें।
कबूतरों की बीट की सफाई में सावधानी बरतें
अगर कबूतरों की बीट घर में हो जाए तो उसे तुरंत सफाई से हटाना चाहिए। इसे कपड़े से साफ करें जो बाद में फेंक दिया जा सके और सफाई के दौरान मास्क और ग्लव्स का उपयोग करें। यह संक्रमित मल से बचाव करने का एक उचित तरीका है।
कबूतरों से छुटकारा पाने के उपाय
कबूतरों से छुटकारा पाने के लिए घर की बालकनी को कवर किया जा सकता है या जाल डाला जा सकता है। इसके अलावा, बर्ड स्पाइक्स, बर्ड जेल, और इलेक्ट्रिक शॉक की तारें भी इस समस्या का समाधान हो सकती हैं। इन उपकरणों का उपयोग कबूतरों को घर के आस-पास आने से रोकने के लिए किया जा सकता है। बालकनी में नकली सांप, उल्लू या विंड चाइम भी लगाए जा सकते हैं, ताकि कबूतर डरकर वहां न आएं।