डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली और दूसरी बार सत्ता संभालते ही एक्शन में आ गए हैं। ट्रंप ने सत्ता संभालते ही दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि उनके नेतृत्व में अमेरिका की दिशा और दशा कैसे होगी। ट्रंप ने अपने पहले आदेश के रूप में कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसे 1 फरवरी से लागू किया जाएगा।
यह निर्णय अमेरिका के व्यापारिक हितों को मजबूत करने और प्रतिस्पर्धात्मक दबाव बढ़ाने के लिए लिया गया है, जिसे ट्रंप ने अपनी पूर्ववर्ती नीतियों को जारी रखने के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, ट्रंप का यह निर्णय सिर्फ कनाडा और मैक्सिको तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने शपथ लेने के बाद वैश्विक स्तर पर व्यापारिक संबंधों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।
ट्रंप की धमकी से BRICS देशों में खलबली
ट्रंप का एक और बयान ब्रिक्स देशों के लिए चिंता का कारण बन गया है। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, ट्रंप ने BRICS देशों को खुली धमकी दी। ट्रंप ने कहा कि अगर BRICS देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के प्रयास किए और नई करेंसी बनाने की दिशा में कदम उठाए, तो अमेरिका इन देशों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगा सकता है। इस धमकी में ट्रंप ने स्पेन को भी शामिल किया, हालांकि, स्पेन BRICS का हिस्सा नहीं है, फिर भी उसे ट्रंप की नीतियों का सामना करना पड़ सकता है।
BRICS देशों के 10 सदस्य और स्पेन पर ट्रंप का निशाना
ब्रिक्स (BRICS) समूह में कुल 10 देश शामिल हैं, जिनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) शामिल हैं। ट्रंप ने इन देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर BRICS देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के प्रयास किए, तो उनके खिलाफ अमेरिका कड़ी कार्रवाई करेगा।
इससे पहले, ट्रंप ने दिसंबर 2024 में भी ब्रिक्स देशों पर कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर BRICS देश अमेरिकी डॉलर के मुकाबले किसी नई करेंसी का समर्थन करते हैं या अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश करते हैं, तो अमेरिका इन देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लागू कर देगा और उन्हें अपने सामान को अमेरिका में बेचने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
ट्रंप की धमकी का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
ट्रंप की इस धमकी का व्यापक असर वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। यदि ट्रंप अपने इस निर्णय को लागू करते हैं, तो यह ब्रिक्स देशों के लिए एक गंभीर आर्थिक संकट का कारण बन सकता है। इन देशों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है, और इस तरह के टैरिफ की स्थिति में उनकी व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।
भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह स्थिति और भी जटिल हो सकती है, क्योंकि इन दोनों देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक संबंध अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से चीन के मामले में, अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही व्यापार युद्ध चल रहा है, और ट्रंप की नई धमकी चीन के लिए एक और चुनौती पेश कर सकती है।
भारत, जो ब्रिक्स का सदस्य है, उस पर भी यह धमकी लागू हो सकती है। अगर भारत ने अमेरिका के खिलाफ कोई कदम उठाया या डॉलर को कमजोर करने के प्रयास किए, तो उसे भी 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। यह भारत के लिए बड़ी आर्थिक चुनौती हो सकती है, क्योंकि भारत भी अमेरिका के एक बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है।
डॉलर को कमजोर करने की कोशिशों पर ट्रंप का कड़ा रुख
ट्रंप की यह धमकी सीधे तौर पर BRICS देशों की योजनाओं और उनके व्यापारिक मंसूबों पर असर डाल सकती है। BRICS देशों के कई सदस्य इस दिशा में काम कर रहे हैं कि कैसे अमेरिकी डॉलर के बजाय अन्य करेंसी का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में ट्रंप की यह धमकी इन देशों के लिए एक सख्त चेतावनी के रूप में सामने आई है।
इसके अलावा, BRICS देशों ने पहले ही अपनी व्यापारिक गतिविधियों को अमेरिकी डॉलर से अलग करने की दिशा में कदम बढ़ाए थे, लेकिन ट्रंप ने इसे अमेरिकी डॉलर की श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए एक सीधी चुनौती के रूप में देखा है।