
महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनाव से पहले विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के संभावित गठजोड़ की खबरें हैं, तो दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी (MVA) और इंडिया अलायंस की दिशा को लेकर असमंजस बना हुआ है।
उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की कोई बैठक नहीं हुई है। मैं चाहता हूं कि यह बैठक जल्द से जल्द हो। बिहार में चुनाव आने वाले हैं, महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने हैं। ऐसे में पहले इंडिया गठबंधन की बैठक बेहद जरूरी है।”
इंडिया बनाम एमवीए: दो गठबंधन, एक अनिश्चित भविष्य
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले देशभर के प्रमुख विपक्षी दलों ने मिलकर ‘इंडिया अलायंस’ का गठन किया था, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट), डीएमके, आरजेडी, सपा सहित अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे।
वहीं, महाराष्ट्र में विशेष रूप से गठित हुआ था महाविकास अघाड़ी (एमवीए), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) का त्रिकोणीय गठबंधन शामिल है। इस गठबंधन ने 2019 के बाद राज्य में संयुक्त रूप से सरकार चलाई और लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़े। लेकिन अब, निकाय चुनावों से पहले यह गठबंधन संदेह के घेरे में है।
ठाकरे ब्रदर्स की नजदीकी से बढ़ी राजनीतिक हलचल
5 जुलाई को महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए। इस कार्यक्रम में एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं, लेकिन कांग्रेस ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी, जिससे अटकलें और तेज हो गईं कि एमवीए में दरारें आ सकती हैं। कार्यक्रम के दौरान उद्धव ठाकरे ने साफतौर पर कहा कि वह आगामी चुनावों में राज ठाकरे के साथ मिलकर लड़ना चाहते हैं। यही बयान गठबंधन की स्थिति को और उलझा देने वाला बन गया।
कांग्रेस का रुख: गठबंधन से दूरी?
पिछले कुछ हफ्तों से कांग्रेस के संकेत यही रहे हैं कि वह निकाय चुनावों में अकेले उतरने की तैयारी में है। प्रदेश कांग्रेस नेताओं का मानना है कि स्थानीय चुनावों में पार्टी का स्वतंत्र चेहरा होना चाहिए ताकि उसकी जमीनी पकड़ मजबूत हो सके।
इसके अलावा, कांग्रेस को शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के संभावित गठबंधन को लेकर भी वैचारिक असहजता है। राज ठाकरे की राजनीति का रुख अतीत में कई बार भाजपा के पक्ष में देखा गया है, जिससे कांग्रेस का असहमत होना स्वाभाविक है।
संजय राउत का बयान: संकेत या सफाई?
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने हाल ही में कहा था, “इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना था, एमवीए विधानसभा के लिए। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कोई औपचारिक गठबंधन नहीं बना था।” उनके इस बयान को कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए एक स्पष्ट संकेत माना जा रहा है कि शिवसेना (यूबीटी) निकाय चुनावों में नए समीकरणों के साथ आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है।
शरद पवार की एनसीपी (एसपी): अब तक चुप्पी
अब तक इस पूरी स्थिति पर शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) ने कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। सुप्रिया सुले का ठाकरे ब्रदर्स के कार्यक्रम में मौजूद रहना एक राजनीतिक संकेत तो माना जा रहा है, लेकिन पार्टी ने अब तक औपचारिक रूप से यह नहीं कहा है कि वह एमएनएस को एमवीए में शामिल करने पर सहमत है या नहीं। शरद पवार अक्सर राजनीतिक संतुलन साधने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए पार्टी का अंतिम फैसला चुनावों के करीब आकर ही सामने आ सकता है।
उद्धव का फोकस: इंडिया अलायंस की मजबूती
उद्धव ठाकरे ने अपने हालिया बयान में स्पष्ट किया कि उन्हें निकाय चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की बैठक ज्यादा जरूरी लगती है। उन्होंने कहा, “चुनाव कई जगह हैं — बिहार में विधानसभा, महाराष्ट्र में निकाय चुनाव… लेकिन विपक्षी दलों को एक साथ बैठकर आगे की रणनीति तय करनी चाहिए।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि उद्धव ठाकरे राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को प्राथमिकता देना चाहते हैं, भले ही स्थानीय स्तर पर रणनीति लचीली हो।