
भारत सरकार के 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया अपने आयोग के सदस्यों के साथ मंगलवार को केदारनाथ धाम पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बाबा केदारनाथ के दर्शन और विधिवत पूजा-अर्चना की। डॉ. पनगढ़िया ने बाबा केदार के चरणों में देशवासियों की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करते हुए इस पवित्र स्थल की आध्यात्मिक शक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य की मुक्तकंठ से सराहना की।
जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरोत्रा ने आयोग के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों का धाम में स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिह्न, केदारनाथ धाम की प्रतिकृति, और स्थानीय उत्पादों से निर्मित शॉल भेंट किए। इस दौरान प्रशासन ने उच्च स्तरीय समन्वय के साथ उनके दौरे को सफल और यादगार बनाया।
बाबा केदारनाथ के दर्शन से शुरू हुआ पावन दौरा
डॉ. अरविंद पनगढ़िया और आयोग के सदस्यों ने सुबह बाबा केदारनाथ मंदिर में पहुंचकर विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिर समिति के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनका स्वागत किया। दर्शन के बाद डॉ. पनगढ़िया ने कहा,
“केदारनाथ धाम में आकर जो शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है, वह अवर्णनीय है। यहां हर सांस आध्यात्मिकता से परिपूर्ण हो जाती है। हम सभी ने देश के कल्याण और समृद्धि की प्रार्थना की है।”
पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण
दर्शन के बाद आयोग के प्रतिनिधिमंडल ने केदारपुरी पुनर्निर्माण परियोजना के अंतर्गत चल रहे विकास और पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण भी किया। डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण की रफ्तार और गुणवत्ता अत्यंत संतोषजनक है।
उन्होंने कहा, “मैं उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन को बधाई देता हूं जिन्होंने इस कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी कार्यों को इतनी दक्षता और समर्पण के साथ पूरा किया है। तीर्थयात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और सेवा के लिए किए जा रहे प्रयास वास्तव में अनुकरणीय हैं।”
उन्होंने निर्माणाधीन वॉकवे, घाट, सुरक्षा दीवारें, पर्यटक शेड्स, और स्थानीय व्यापारिक केंद्रों का भी निरीक्षण किया। उनकी प्रतिक्रिया स्पष्ट थी—केदारनाथ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की संवेदनशीलता, पुनर्जागरण और सामूहिक चेतना का प्रतीक बन चुका है।
उत्तराखंड सरकार के प्रयासों की सराहना
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने केदारनाथ में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की खुले दिल से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति और समर्पण से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।
“पुनर्निर्माण के दौरान न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया गया है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और हिमालय की संवेदनशीलता का भी पूरा ध्यान रखा गया है। यह विकास और प्रकृति के बीच संतुलन का आदर्श उदाहरण है,” उन्होंने कहा।
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम
केदारनाथ धाम की यात्रा केवल धार्मिक यात्रा नहीं होती, बल्कि यह हिमालय की गोद में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक अनुभव भी है। डॉ. पनगढ़िया ने यहां की बर्फ से ढकी चोटियों, मंदाकिनी नदी की कलकल ध्वनि, और स्वच्छ वातावरण की भी विशेष सराहना की।
उन्होंने कहा,
“यह स्थान पर्यावरणीय स्थिरता, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का विलक्षण संगम है। ऐसे स्थानों को संरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों के लिए विकसित करना हमारा दायित्व है।”
आयोग के अन्य सदस्यों की प्रतिक्रिया
वित्त आयोग के अन्य सदस्यों ने भी केदारनाथ धाम में धार्मिक व्यवस्थाओं, यात्री सुविधाओं और पुनर्निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का यह प्रमुख तीर्थ स्थल, जो 2013 की त्रासदी के बाद लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया था, अब नई ऊर्जा और व्यवस्था के साथ पुनर्जीवित हो चुका है।
आयोग के एक सदस्य ने कहा,
“देश के विभिन्न हिस्सों में घूमने के बाद, जब आप केदारनाथ जैसे स्थल पर आते हैं और वहां आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक मूल्यों को समाहित होते देखते हैं, तो वास्तव में गर्व होता है।”