
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 48,000 करोड़ रुपये के बहुचर्चित पर्ल एग्रो कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) घोटाले की जांच के तहत मंगलवार को राजस्थान और पंजाब में बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी PACL से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में की गई है, जिसकी जांच ED साल 2015 से कर रही है।
जिन राजनीतिक हस्तियों के परिसरों पर यह कार्रवाई की गई, उनमें राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और पंजाब के AAP विधायक कुलवंत सिंह शामिल हैं। कुलवंत सिंह, जो कि राज्य के सबसे अमीर विधायक माने जाते हैं, मोहाली स्थित रियल एस्टेट कंपनी JLPL (जनता लैंड प्रमोटर्स लिमिटेड) के संस्थापक हैं।
15 स्थानों पर समन्वित कार्रवाई, CRPF की तैनाती
ईडी ने पंजाब के मोहाली में कुलवंत सिंह से जुड़े कई परिसरों समेत देशभर में करीब 15 स्थानों पर समन्वित छापेमारी अभियान चलाया। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की विशेष टीमों को भी तैनात किया गया था ताकि छापेमारी के दौरान कोई व्यवधान न हो।
जानकारी के अनुसार, इन सभी ठिकानों पर सुबह-सुबह अचानक दबिश दी गई, जिससे स्थानीय स्तर पर हलचल तेज हो गई। छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और कथित लेनदेन से जुड़े रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं।
पंजाब के सबसे अमीर विधायक: कुलवंत सिंह
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, मोहाली से विधायक कुलवंत सिंह की कुल संपत्ति करीब 1,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। वे JLPL नामक रियल एस्टेट फर्म के प्रमोटर हैं, जिसकी पंजाब और खासकर मोहाली में कई प्रोजेक्ट्स हैं। कुलवंत सिंह का नाम PACL से जुड़े कथित संदिग्ध वित्तीय लेनदेन में सामने आया है।
वित्तीय जांच एजेंसी को शक है कि PACL से जुटाई गई अवैध पूंजी का कुछ हिस्सा कुलवंत सिंह या उनके कंपनियों के माध्यम से रियल एस्टेट में लगाया गया हो सकता है। इसी कड़ी में ईडी ने उनके ठिकानों पर तलाशी ली।
राजस्थान में भी राजनीतिक हलचल, खाचरियावास के घर पर छापेमारी
राजस्थान की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के ठिकाने पर भी ईडी ने तलाशी ली। जयपुर में उनके आवास और उससे जुड़े अन्य परिसरों पर हुई छापेमारी ने कांग्रेस खेमे में चिंता बढ़ा दी है। हालांकि अभी तक खाचरियावास की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
PACL घोटाला: देश का सबसे बड़ा चिट फंड स्कैम
PACL, जिसे पर्ल्स ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है, पर 48,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। कंपनी ने पूरे भारत में लाखों निवेशकों से कृषि भूमि दिलाने के नाम पर निवेश जुटाया। परंतु अधिकांश निवेशकों को न तो जमीन मिली और न ही उनका पैसा वापस हुआ। बाद में यह खुलासा हुआ कि यह एक पोंजी स्कीम थी, जिसमें पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसों से भुगतान किया जा रहा था।
PACL की इन फर्जी योजनाओं की शुरुआत पीजीएफ लिमिटेड (PGF Ltd) के नाम से हुई थी। कंपनी के मुख्य प्रवर्तक निर्मल सिंह भंगू थे, जिनकी मृत्यु अगस्त 2024 में हो चुकी है।
2015 से चल रही है जांच, CBI ने दर्ज की थी FIR
इस घोटाले की जांच की शुरुआत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा साल 2015 में की गई थी, जब बड़ी संख्या में निवेशकों ने PACL के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का पहलू जोड़ते हुए अलग से जांच शुरू की।
ईडी के अनुसार, PACL और इसके निदेशकों ने मिलकर देशभर में करीब 5.5 करोड़ निवेशकों को ठगा और उनसे 48,000 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की।
निर्मल सिंह भंगू की विरासत पर जांच एजेंसियों की नजर
PACL घोटाले के मुख्य आरोपी निर्मल सिंह भंगू की मृत्यु के बाद भी ईडी की जांच उनके परिवार और सहयोगियों तक पहुंच गई है। मार्च 2025 में, एजेंसी ने भंगू की बेटी बरिंदर कौर, उनके दामाद हरसतिंदर पाल सिंह हेयर, और उनके करीबी सहयोगी मनोज कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की थी। हेयर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
ईडी के अनुसार, PACL द्वारा जुटाई गई रकम को देश के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया जैसे विदेशी देशों में अचल संपत्तियों में निवेश किया गया। मार्च तक की कार्रवाई में ED ने ऑस्ट्रेलिया में 462 करोड़ रुपये की संपत्ति समेत कुल 706 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। इस केस में दो आरोप पत्र भी दायर किए जा चुके हैं।