राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में हाल के बंटवारे के चलते पार्टी के प्रमुख नेता शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पहली बार दिवाली का त्योहार अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से मनाने का निर्णय लिया है। पारिवारिक परंपराओं के विपरीत, इस बार दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से दूरी बनाए रखी है, जो कि राजनीतिक तनाव का संकेत है।
पारंपरिक परंपरा में बदलाव
हर वर्ष दिवाली पर पवार परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर बारामती में ‘पवार साहब’ के गोविंदबाग निवास पर ‘दिवाली पड़वा’ मनाते थे। लेकिन इस साल, शरद पवार अपनी पत्नी प्रतिभा, बेटी सुप्रिया सुले और पोते रोहित पवार के साथ गोविंदबाग में ही त्योहार मनाएंगे। दूसरी ओर, अजित पवार अपनी मां, पत्नी और दो बेटों के साथ कटेवाड़ी स्थित अपने निवास पर दिवाली मनाएंगे, जो शरद पवार के निवास से लगभग 10 किलोमीटर दूर है।
परिवार में बढ़ती दूरियां
इस वर्ष के समारोह में अजित पवार के बड़े भाई श्रीनिवास पवार भी शरद पवार के घर पर शामिल होने की उम्मीद है। यह परिवार के भीतर का तनाव और बढ़ाता है, क्योंकि श्रीनिवास के बेटे युगेंद्र पवार NCP (SP) की ओर से बारामती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जो कि अजित पवार को सीधे चुनौती दे रहा है। इस तरह के पारिवारिक मतभेद ने पवार परिवार की एकता को प्रभावित किया है।
पारिवारिक परंपराएं और प्रतिक्रियाएं
पूर्व NCP शहर अध्यक्ष इम्तियाज शेख ने बताया कि पवार परिवार द्वारा ‘दिवाली पड़वा’ मनाने की परंपरा काफी पुरानी है। उन्होंने कहा, “यह परंपरा 40 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यह पहली बार है, जब दोनों परिवार अपने-अपने घरों में ‘दिवाली पड़वा’ मना रहे हैं।” इसके पीछे का कारण यह है कि परिवार के अधिकांश सदस्य शरद पवार के साथ हैं, और उन्हें लगता है कि अजित पवार ने अपने पिता को ‘धोखा’ देकर सही काम नहीं किया है।
पिछले वर्ष की तुलना
पिछले वर्ष शरद और अजित पवार ने एक साथ गोविंदबाग में दिवाली मनाई थी। हालांकि उसके बाद अजित पवार ने भाजपा और शिवसेना के साथ मिलकर महायुति सरकार बनाई। इस प्रकार की राजनीतिक भागीदारी ने पारिवारिक संबंधों में तनाव पैदा किया है जिसका असर इस वर्ष के समारोह पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
अजित पवार का दृष्टिकोण
इस बीच, एनसीपी (SP) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा, “यह हमारे लिए एक खास अवसर है। हम इसे एक साथ मनाएंगे। मुझे दूसरे दिवाली पड़वा (अजित पवार के आवास पर) के बारे में नहीं पता।” अजित पवार ने भी अपने समारोह के बारे में बात करते हुए कहा, “हमारा ‘दिवाली पड़वा’ समारोह मेरे कटेवाड़ी निवास पर मनाया जाएगा। सुनील तटकरे और धनंजय मुंडे जैसे हमारे कुछ नेता इस समारोह में शामिल होना चाहते हैं।”
राजनीतिक संदर्भ
यह बंटवारा और उसकी परिणामी स्थिति महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण है। NCP के भीतर चल रहे इस विवाद ने न केवल पारिवारिक रिश्तों को प्रभावित किया है, बल्कि इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। अजित पवार का भाजपा से हाथ मिलाना और शरद पवार का धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर बने रहना दोनों ही नेताओं के लिए चुनौतियाँ पेश कर सकता है।