हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावी नतीजों की गिनती जारी है, जिसमें हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक लगाने की संभावना प्रबल हो रही है। रुझानों के अनुसार, बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। 52 साल बाद हरियाणा में किसी पार्टी को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का अवसर मिल रहा है।
हरियाणा के चुनावी रुझान
हरियाणा में मौजूदा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी को 49 सीटों पर बढ़त मिलती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को 34 सीटों पर बढ़त देखने को मिल रही है। शहरी वोटरों ने कांग्रेस को खारिज करते हुए बीजेपी को अपना समर्थन दिया है। शहरी हरियाणा में बीजेपी को 30 में से 21 सीटें मिलती नजर आ रही हैं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर बढ़त बना पा रही है।
गांवों में स्थिति थोड़ी अलग है, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। हरियाणा में जाटों का भी बीजेपी के प्रति समर्थन बढ़ा है, जो 2019 में 30% जाट सीटें जीतने में सफल रही थी, वहीं अब 2024 में यह बढ़कर 51% हो गई है।
जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन का उभार
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन आसानी से बहुमत की ओर बढ़ता दिख रहा है। एनसी और कांग्रेस को मिलाकर 52 सीटों पर बढ़त है, जबकि बीजेपी 27 सीटों पर आगे चल रही है। यह गठबंधन क्षेत्र में एक स्थिरता का संकेत देता है और आगामी राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अपना खाता खोल लिया है, जिसमें उसने डोडा सीट जीत ली है। यह परिणाम एAP के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे उसकी राजनीतिक स्थिति को मजबूती मिलेगी।
महबूबा मुफ्ती की पार्टी का खराब प्रदर्शन
महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी की स्थिति काफी खराब नजर आ रही है। पार्टी केवल 2 सीटों पर आगे चल रही है, जो कि पिछले चुनावों की तुलना में एक बड़ा नुकसान है। इससे साफ जाहिर होता है कि क्षेत्र में जनता की सोच और प्राथमिकताएं बदल रही हैं, और पार्टी को नए सिरे से अपनी रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
चुनावी नतीजों का प्रभाव
हरियाणा में बीजेपी की संभावित जीत न केवल पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पार्टी की कार्यशैली और जनता की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाती है। बीजेपी ने अपनी नीतियों और विकास कार्यों को केंद्र में रखकर चुनावी प्रचार किया, जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन का उभार यह दर्शाता है कि क्षेत्र की जनता ने स्थानीय मुद्दों और राजनीतिक स्थिरता को प्राथमिकता दी है। बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्ष का उभरना यह भी दिखाता है कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।