
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक कर राज्य के इंजीनियरिंग संस्थानों को राष्ट्रीय स्तर का बनाने की दिशा में ठोस रणनीति पर विचार किया। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य के सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में अधोसंरचना, फैकल्टी, आधुनिक प्रयोगशालाएं, हॉस्टल सुविधाएं और सड़क संपर्क जैसे मूलभूत आयामों को प्राथमिकता दी जाए।
इस बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा, तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी और संस्थानों के निदेशक मौजूद रहे।
राष्ट्रीय स्तर की दिशा में तकनीकी शिक्षा का पुनर्गठन
मुख्यमंत्री धामी ने बैठक की शुरुआत करते हुए कहा, “राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों को केवल डिग्री वितरक संस्थान नहीं, बल्कि नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बदलाव केवल भवन निर्माण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान, और औद्योगिक सहभागिता को भी शामिल किया जाएगा।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि संस्थानों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे बाउंड्री वॉल, छात्रावासों और बेहतर सड़क कनेक्टिविटी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इसके साथ ही सभी कॉलेजों में आधुनिक लैब्स, कंप्यूटर सुविधाएं और स्मार्ट क्लासरूम की स्थापना सुनिश्चित की जाए।
योग्य फैकल्टी की नियुक्ति और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर
बैठक में सीएम धामी ने फैकल्टी की कमी पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने निर्देश दिए कि “सभी संस्थानों में तय मानकों के अनुसार फैकल्टी की तैनाती अविलंब की जाए।” मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि निर्धारित प्रक्रिया के बावजूद समय पर भर्तियां नहीं होती हैं, तो संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
धामी ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए योग्य शिक्षकों की आवश्यकता अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब तकनीकी संस्थानों की फैकल्टी नियुक्तियों में देरी को बर्दाश्त नहीं करेगी।
उद्योग आधारित शिक्षा और प्लेसमेंट को मिलेगी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवा केवल डिग्रीधारी न बनें, बल्कि रोजगार योग्य तकनीकी कौशल से भी युक्त हों। इसके लिए उन्होंने औद्योगिक जगत की मांगों के अनुसार पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा, “हमारे छात्रों को ऐसी ट्रेनिंग और शिक्षा मिले जिससे वे प्लेसमेंट के लिए सक्षम बनें। इसके लिए हर इंजीनियरिंग कॉलेज में प्लेसमेंट सेल को सक्रिय किया जाए और कैम्पस इंटरव्यू की व्यवस्था की जाए।”
धामी ने यह भी कहा कि जो ट्रेड अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं, उन्हें हटाकर नए और आधुनिक तकनीकी ट्रेड शुरू किए जाएं।
नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान को लेकर मुख्यमंत्री की नाराजगी
पिथौरागढ़ के मड़धूरा क्षेत्र में बने नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान में कक्षाएं शुरू न होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। उन्होंने इस बात की जांच के आदेश दिए कि भवन का चयन किस आधार पर हुआ और क्या वह स्थान संस्थान के लिए उपयुक्त था या नहीं।
धामी ने कहा, “₹15 करोड़ की लागत से बना भवन उपयोग में नहीं है, यह राज्य संसाधनों की बर्बादी है। यह गंभीर लापरवाही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से रिपोर्ट तलब करते हुए कहा कि यदि चयन प्रक्रिया में कोई अनियमितता पाई गई तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जी.बी.पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी में एसआईटी जांच के आदेश
बैठक में मुख्यमंत्री ने जी.बी.पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी में नियुक्तियों, प्रमोशन और अन्य प्रशासनिक मामलों में अनियमितताओं की शिकायतों को गंभीरता से लिया। उन्होंने नए सिरे से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के निर्देश दिए जो संस्थान में सभी पहलुओं की गहन जांच करेगा।
उन्होंने कहा, “शिक्षा के मंदिरों में पारदर्शिता और ईमानदारी सर्वोपरि होनी चाहिए। अगर संस्थान में भ्रष्टाचार या पक्षपात हुआ है तो दोषियों को दंडित किया जाएगा।”
नीतिगत बदलाव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आवश्यकता
बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य सरकार एक दीर्घकालिक तकनीकी शिक्षा नीति तैयार करेगी जिसमें फैकल्टी डेवलपमेंट, अनुसंधान प्रोत्साहन, विदेशी सहयोग, और डिजिटल शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कहा कि नीति बनाते समय केवल वर्तमान समस्याओं को नहीं, बल्कि अगले 10 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा, “राज्य का हर इंजीनियरिंग संस्थान आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय रैंकिंग में शामिल हो, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।”
उपस्थित अधिकारियों की भूमिका
बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विभाग ने पहले ही कई कॉलेजों में सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी है और नई फैकल्टी नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर ने संस्थानों के बुनियादी ढांचे की स्थिति पर एक प्रजेंटेशन दिया।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन और प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु ने अधिकारियों को समयबद्ध कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि तकनीकी शिक्षा में नवाचार लाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी पर विचार किया जा रहा है।