
प्रदेश के सरकारी स्कूलों की छवि और गुणवत्ता सुधारने की दिशा में शिक्षा विभाग ने एक नई पहल की घोषणा की है। राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने ऐलान किया है कि हर ब्लॉक में कम से कम एक आकर्षक और उच्च गुणवत्ता वाला अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह घोषणा शनिवार को एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) परिसर में आवासीय भवनों और शिक्षा निदेशालय के मुख्य गेट के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान की।
डॉ. रावत ने कहा कि यह कदम सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग से उन्होंने एक रिपोर्ट मंगाई थी जिसमें यह बात सामने आई कि अभिभावक अब अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं। इसी वजह से सरकारी स्कूलों में दाखिले कम हो रहे हैं।
अंग्रेजी माध्यम की मांग और सरकारी स्कूलों की हालत
शिक्षा मंत्री के अनुसार, अभिभावकों से बातचीत में दो बातें प्रमुख रूप से सामने आईं—एक, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करें; और दूसरी, स्कूलों में हर विषय के लिए योग्य शिक्षक उपलब्ध हों। वर्तमान में कई सरकारी स्कूलों में शिक्षक पद रिक्त हैं या कुछ विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने माना कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए जरूरी है कि वे निजी स्कूलों के समकक्ष सुविधाएं और शिक्षा गुणवत्ता प्रदान करें। इसी लक्ष्य के साथ हर ब्लॉक में कम से कम एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना की जाएगी, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।
486 लाख रुपये के निर्माण कार्यों का शिलान्यास
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कुल 486 लाख रुपये की लागत से बनने वाले विभिन्न निर्माण कार्यों का शिलान्यास भी किया। इनमें एससीईआरटी परिसर में बनने वाले आवासीय भवन और निदेशालय गेट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार निवेश कर रही है ताकि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।
शिक्षकों की भर्ती और उपस्थिति प्रणाली में सुधार
कार्यक्रम में डॉ. रावत ने शिक्षा विभाग में 2,000 शिक्षकों की नई भर्ती का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जल्द ही शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षकों की तरह अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इसका उद्देश्य विभागीय कामकाज में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाना है।
डिजिटल निगरानी प्रणाली होगी लागू
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अब स्कूलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक डिजिटल सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इससे प्रत्येक स्कूल की स्थिति, शिक्षकों की उपस्थिति, विद्यार्थियों की संख्या और अन्य सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगी। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि किसी भी स्कूल में अनियमितता या लापरवाही की गुंजाइश न रहे।
प्रशासनिक जिम्मेदारियों का डिजिटल ट्रैकिंग
अब विभागीय निदेशकों और अन्य अधिकारियों की भी नियमित उपस्थिति, कार्य प्रगति और फील्ड विजिट आदि पर निगरानी की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत स्कूलों की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट बनाई जाएगी और आधार पर उन्हें ग्रेड भी दिया जाएगा। इससे स्कूलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य व्यक्ति
इस कार्यक्रम में विधायक उमेश शर्मा काऊ, एससीईआरटी की निदेशक वंदना गब्र्याल, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल सती, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय नौडियाल, संस्कृत शिक्षा निदेशक आनंद भारद्वाज, और पदमेंद्र सकलानी जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने शिक्षा मंत्री की इस पहल की सराहना की और कहा कि यह राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
विभागीय जिम्मेदारियों में पारदर्शिता और जवाबदेही
डॉ. रावत ने कहा कि शिक्षकों की उपस्थिति को ऑनलाइन ट्रैक करने से यह सुनिश्चित होगा कि वे समय पर स्कूल आएं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें। अब अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा, बल्कि सरकारी स्कूलों की साख भी बढ़ेगी।