
प्रदेश में खनन के भूगर्भीय प्रभावों का अध्ययन करने के लिए गठित की गई पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने विभाग को अपनी पहली रिपोर्ट सौंप दी है। यह रिपोर्ट रिवर बेल्ट से संबंधित है, जबकि अन्य रिपोर्ट्स का आना अभी बाकी है। विभाग के निदेशक, राजपाल लेघा के अनुसार, अभी तक केवल रिवर बेल्ट के खनन पर रिपोर्ट प्राप्त हुई है, और बाकी रिपोर्ट्स का इंतजार किया जा रहा है।
खनन विभाग ने बनाई विशेषज्ञ समिति
प्रदेश में अवैध खनन के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, और यह मुद्दा हाल ही में लोकसभा में भी उठ चुका है। इसके बाद, राज्य सरकार ने खनन विभाग के तहत पांच सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य राज्य में खनन के भूगर्भीय प्रभावों का अध्ययन करना है। यह कदम प्रदेश में खनन गतिविधियों पर बढ़ती चिंता और उसके पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
समिति का अध्यक्ष वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक को नियुक्त किया गया है। इस समिति में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के भूकंप विज्ञानी, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के संयुक्त निदेशक को सदस्य सचिव के रूप में शामिल किया गया है।
समिति का उद्देश्य और कार्य
समिति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में खनन से संबंधित भूगर्भीय प्रभावों का अध्ययन करना है, जिससे राज्य के पर्यावरणीय संतुलन पर खनन के असर को समझा जा सके। इसके अलावा, यह समिति राज्य में खनन की गतिविधियों की सुरक्षा और नियमन को बेहतर बनाने के लिए उपाय सुझाएगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में खनन गतिविधियों के कारण जल स्रोतों, भूमि संरचना, और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर हो रहे प्रभावों की विस्तार से जांच की है।
खनन विभाग के निदेशक, राजपाल लेघा के मुताबिक, समिति ने फिलहाल रिवर बेल्ट के खनन की रिपोर्ट दी है, जिसमें बताया गया है कि यहां खनन गतिविधियों के कारण क्या भूगर्भीय बदलाव हो रहे हैं और किस प्रकार से यह जलवायु और जल स्रोतों को प्रभावित कर रहा है।
अवैध खनन की समस्या
प्रदेश में अवैध खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और यह न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इससे जुड़ी आर्थिक और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। अवैध खनन से संबंधित कई मुद्दे लोकसभा में भी उठाए गए हैं, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस पर कड़ी कार्रवाई करने की योजना बनाई है।
राजपाल लेघा ने कहा कि खनन के सही तरीके और नियमों का पालन करने से न केवल भूगर्भीय संरचना पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभकारी होगा। इसलिए, विशेषज्ञ समिति ने अवैध खनन की समस्या पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है और इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है।
भूगर्भीय अध्ययन और इसके प्रभाव
समिति के सदस्य वैज्ञानिकों का कहना है कि खनन के दौरान यदि भूगर्भीय संरचनाओं का सही तरीके से अध्ययन न किया जाए, तो यह भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकता है। जैसे कि भूस्खलन, जलसंचय में असंतुलन और भूजल स्तर में गिरावट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इसके अलावा, विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि खनन के कारण भूमि की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है, जो कृषि और वनस्पति के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि खनन की प्रक्रिया को पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सही तरीके से नियोजित किया जाए ताकि इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।