
श्रीलंकाई नौसेना द्वारा डेल्फ़्ट द्वीप के नजदीक मछुआरों पर की गई गोलीबारी के परिणामस्वरूप पांच भारतीय मछुआरे घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस घटना के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और श्रीलंकाई उच्चायोग के एक्टिंग हाई कमिश्नर को तलब कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने इस गोलीबारी को लेकर श्रीलंकाई अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है और स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है।
गोलीबारी की घटना और घायल मछुआरों की स्थिति
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मंगलवार (28 जनवरी) की सुबह डेल्फ़्ट द्वीप के पास 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना द्वारा गोलीबारी की गई। मंत्रालय के अनुसार, मछुआरों की नाव में 13 लोग सवार थे, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हो गए। इन मछुआरों का इलाज जाफना टीचिंग अस्पताल में चल रहा है। इसके अलावा, तीन अन्य मछुआरे मामूली रूप से घायल हुए हैं और उनका भी इलाज जारी है।
भारत सरकार ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी के परिणामस्वरूप मछुआरों के जीवन को खतरा हुआ, और इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया।
भारत ने श्रीलंकाई उच्चायोग को तलब किया
घटना के बाद भारत ने श्रीलंकाई उच्चायोग के एक्टिंग हाई कमिश्नर को तलब किया और इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। भारत सरकार का कहना है कि इस तरह के बल प्रयोग से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग भारतीय मछुआरों के खिलाफ स्वीकार्य नहीं है और यह पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय मानकों के खिलाफ है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारत सरकार ने हमेशा मछुआरों के मुद्दे को मानवीय तरीके से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिसमें उनकी आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखा जाता है।” मंत्रालय ने यह भी कहा कि श्रीलंकाई अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की अपील की गई है कि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हों।
जाफना में मछुआरों से मुलाकात
इस घटना के बाद भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने जाफना स्थित अस्पताल में घायल मछुआरों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। साथ ही, उनके परिवारों से हर संभव सहायता प्रदान की गई। भारत सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल मछुआरों को उचित इलाज मिले और उनके परिवारों को पूरी मदद दी जाए। भारतीय अधिकारियों ने घायल मछुआरों के प्रति अपनी चिंता और समर्थन व्यक्त किया है।
श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय से शिकायत
भारत सरकार ने श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मुद्दा उठाया है। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस घटना को लेकर श्रीलंकाई अधिकारियों से बातचीत की और कड़ी आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय ने इस घटना के लिए जिम्मेदार पक्षों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और मछुआरों के खिलाफ किए गए इस हिंसक व्यवहार को लेकर कड़ी निंदा की।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस घटना से दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत और सहयोग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
“बल का प्रयोग अस्वीकार्य”
भारत ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा मछुआरों पर गोलीबारी को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है।” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर जो समझौते और सहमति बनी हैं, उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
भारत ने कहा कि मछुआरों से संबंधित मुद्दों को हमेशा मानवीय दृष्टिकोण से निपटाया जाना चाहिए, और इसके लिए दोनों देशों के बीच समझौते और कानूनी ढांचे का पालन किया जाना चाहिए। भारत ने श्रीलंकाई अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, ताकि दोनों देशों के संबंधों में तनाव न आए और मछुआरों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव
यह घटना भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री मुद्दों पर चल रही बहस और विवादों को और अधिक बढ़ा सकती है। भारतीय मछुआरे अक्सर श्रीलंकाई जल क्षेत्र में मछली पकड़ने जाते हैं, और इस पर दोनों देशों के बीच विवाद पहले भी उठ चुके हैं। श्रीलंकाई नौसेना की ओर से की गई गोलीबारी ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है।
भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा पर कई बार टकराव की घटनाएं हो चुकी हैं, खासकर जब भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जल क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा किया है, और यह गोलीबारी की घटना इस समस्या को और गहरा सकती है।