
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को अपने दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हरिद्वार पहुंचे। वह अपने पूरे परिवार सहित कनखल क्षेत्र स्थित हरिहर आश्रम में रुके। इस पावन स्थल पर उन्होंने जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। धार्मिक वातावरण में हुई इस मुलाकात के बाद पूर्व राष्ट्रपति ने मीडिया से भी संवाद किया और देश से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय साझा की।
ऑपरेशन सिंदूर को बताया भारतीय सेना का शौर्य प्रतीक
मीडिया से बातचीत में रामनाथ कोविंद ने हाल ही में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन न केवल भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय भी है।
उन्होंने कहा: “ऑपरेशन सिंदूर हमारी सेनाओं के शौर्य और पराक्रम का ऐसा प्रतीक है, जिसे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया सदियों तक याद रखेगी। यह भारत की सैन्य नीति और उसकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।”
पूर्व राष्ट्रपति ने जवानों को सलाम करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों का साहस और अनुशासन ही भारत को सुरक्षित बनाता है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी साख को मजबूत करता है।
‘एक देश, एक चुनाव’ को बताया देश की आवश्यकता
रामनाथ कोविंद ने ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) के मुद्दे पर भी खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह भारत जैसे विशाल लोकतंत्र के लिए एक आवश्यक सुधार है, जिससे प्रशासनिक स्थिरता, नीतिगत निरंतरता, और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।
उन्होंने कहा: “एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था लागू होने से देश की विकास गति तेज होगी। अगर हम आर्थिक विशेषज्ञों की मानें, तो भारत जो अभी विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इस व्यवस्था के बाद तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन सकता है।”
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी जोड़ा कि बार-बार चुनावों के कारण देश को नीतिगत अस्थिरता, वित्तीय बोझ और प्रशासनिक विघटन का सामना करना पड़ता है। एक साथ चुनाव से न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि सरकारें भी पूरे कार्यकाल के लिए स्थिर नीति निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
हरिहर आश्रम में अध्यात्म और दर्शन का संगम
हरिद्वार आगमन पर कोविंद परिवार ने हरिहर आश्रम के शिवालय में पूजा-अर्चना की और अध्यात्म से जुड़ी गतिविधियों में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने आश्रम के धर्माचार्यों से चर्चा की और देश में संस्कृति, शिक्षा, और धर्म की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया।
स्वामी अवधेशानंद गिरी, जो भारतीय सनातन परंपरा के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेतृत्वकर्ता माने जाते हैं, से मिलकर कोविंद ने भारत की धार्मिक सहिष्णुता, आध्यात्मिक विरासत, और सांस्कृतिक एकता पर चर्चा की।
आर्थिक प्रगति और विश्व में भारत की भूमिका पर बोले कोविंद
अपने संबोधन में रामनाथ कोविंद ने भारत की तेजी से बढ़ती वैश्विक भूमिका पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल विकास दर के मामले में, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्पेस टेक्नोलॉजी, और सशस्त्र बलों की क्षमता के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं।
उन्होंने कहा: “हमारे वैज्ञानिक, उद्योगपति, किसान, युवा और सैनिक मिलकर एक ऐसा भारत बना रहे हैं जो वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। अगर हम राजनीतिक और चुनावी व्यवस्थाओं में सुधार करें, तो यह प्रगति और अधिक सशक्त होगी।”
पूर्व राष्ट्रपति का यह दौरा क्यों है अहम
रामनाथ कोविंद का यह उत्तराखंड दौरा महज एक व्यक्तिगत प्रवास नहीं माना जा रहा है। वे केंद्र सरकार द्वारा गठित ‘एक देश, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में इस समिति ने राजनीतिक दलों, संविधान विशेषज्ञों, और आम जनता से व्यापक चर्चा कर इस नीति पर सुझाव तैयार किए थे।
ऐसे में हरिद्वार जैसे धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र में उनका यह दौरा नीति और आध्यात्मिकता के संगम के रूप में देखा जा रहा है।
राज्य सरकार ने किया स्वागत
उत्तराखंड प्रशासन और हरिद्वार जिला प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति के दौरे के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष प्रबंध किए। कनखल क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हजारों की संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग उन्हें देखने पहुंचे।
हरिद्वार के महापौर और विधायक ने पूर्व राष्ट्रपति से भेंट कर उनका सम्मानपूर्वक स्वागत किया और आश्रम में उन्हें राज्य की धार्मिक और पर्यटन नीतियों की जानकारी दी।