
पंजाब सरकार की ओर से महिलाओं को दी जा रही मुफ्त बस सफर की योजना, एक तरफ जहां जनता के लिए बड़ी राहत बनी, वहीं दूसरी ओर पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (PRTC) के लिए यह योजना एक गंभीर वित्तीय संकट का कारण बनती जा रही है। स्थिति यह हो चुकी है कि PRTC के सैकड़ों नियमित कर्मचारी जुलाई महीने की तनख्वाह के लिए तरस रहे हैं और 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की सरकारी बकाया राशि ने निगम की आर्थिक सेहत को जर्जर कर दिया है।
हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि PRTC अपने कर्मचारियों को ना तो समय पर वेतन दे पा रहा है और ना ही सेवानिवृत्ति लाभ, पेंशन और एरियर जैसे देनदारियों को पूरा कर पा रहा है। बकाया अब बढ़कर 170 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
कैसे हुआ यह संकट पैदा?
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान महिलाओं को राज्य की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई थी। तब यह योजना राजनीतिक रूप से तो सराही गई, लेकिन PRTC जैसी परिवहन संस्थाओं पर इसका गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ा। योजना के तहत, महिलाओं के मुफ्त सफर की एवज में सरकार को PRTC को हर महीने भुगतान करना था।
लेकिन अब यह भुगतान नियमित नहीं हो पा रहा है। निगम के पास आमदनी के अन्य साधनों की कमी है और उसे लगभग पूरा दारोमदार सरकार से मिलने वाली राशि पर ही है। ऐसे में जब सरकार बकाया नहीं चुकाती, तो कर्मचारियों के वेतन और परिचालन संबंधी खर्च पूरे करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
तनख्वाह का संकट: कौन प्रभावित हुआ?
PRTC में इस समय करीब 700 नियमित कर्मचारी कार्यरत हैं, जिन्हें अब तक जुलाई महीने का वेतन नहीं मिला है। वहीं ठेका कर्मचारियों और पेंशनरों को धरना-प्रदर्शन के दबाव के बाद 17 जुलाई को वेतन मिल पाया।
PRTC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “हर महीने वेतन और पेंशन का कुल खर्च लगभग 30 करोड़ रुपये बैठता है। पहले सरकार 27 से 28 करोड़ रुपये मासिक जारी कर देती थी, लेकिन इस बार मात्र 22 करोड़ ही मिले हैं। ऐसे में नियमित मुलाजिमों की तनख्वाह रुकी हुई है। उम्मीद है कि शुक्रवार तक 5.43 करोड़ और मिलेंगे, जिससे तनख्वाह दी जा सकेगी।”
तीन वर्षों से नहीं जुड़ी एक भी नई बस
वर्तमान वित्तीय संकट का असर PRTC के बेड़े पर भी साफ नजर आ रहा है। पिछले तीन सालों में एक भी नई बस निगम के बेड़े में शामिल नहीं हो सकी है। इससे निगम की सेवाओं की गुणवत्ता और यात्रियों की संतुष्टि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जहां एक ओर निजी परिवहन ऑपरेटर लगातार नए वाहन ला रहे हैं, वहीं PRTC की पुरानी बसें घाटे का कारण बनती जा रही हैं।
कर्मचारियों का विरोध और धरने की चेतावनी
वेतन संकट से नाराज PRTC के कर्मचारियों ने अब धरना देने का ऐलान किया है। उत्तम सिंह बागड़ी और निर्मल सिंह धालीवाल, जोकि कर्मचारी नेताओं में शामिल हैं, ने शुक्रवार सुबह PRTC के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन की घोषणा की है।