
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार की 106वीं बरसी के मौके पर एक विवाद ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ब्रिटिश जनरल माइकल ओ’डायर की पड़पोती कैरोलिन डायर ने एक साक्षात्कार में नरसंहार में शहीद हुए हजारों निर्दोष भारतीयों को ‘लुटेरा’ कह दिया। उनके इस बयान से देशभर में आक्रोश फैल गया है।
सबसे तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है फिल्म निर्माता करण जौहर की ओर से। सोशल मीडिया पर करण जौहर ने कैरोलिन डायर की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “न केवल अज्ञानता भरा, बल्कि अमानवीय और शर्मनाक” करार दिया। उन्होंने कहा कि वैसाखी जैसे पवित्र पर्व के दिन निर्दोष और निहत्थे लोगों को लुटेरा कहना बेहद शर्मनाक और क्रूर है।
करण जौहर की प्रतिक्रिया: “इतिहास का अपमान है ये”
करण जौहर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तीखे शब्दों में लिखा: “जलियांवाला बाग नरसंहार भारत ही नहीं, दुनिया के इतिहास का सबसे जघन्य अपराध है। और उस त्रासदी के शहीदों को लुटेरा कहना मानवता का अपमान है। कैरोलिन डायर को ये कहने की हिम्मत कैसे हुई?”
करण ने आगे कहा कि जनरल डायर ने निर्दोष लोगों पर तब तक गोलियां चलवाईं जब तक वे सब गिर नहीं गए। वैसाखी के दिन महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग अपने हक के लिए शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र हुए थे। “मैं उसे (कैरोलिन डायर) जानता नहीं, जानना नहीं चाहता, और कभी मिलना भी नहीं चाहूंगा। ये बयान भारत के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है,” – करण जौहर। करण जौहर ने अपने पोस्ट में यह भी बताया कि उनका परिवार पंजाबी है और उन्होंने अपनी दादी से भारत-पाक बंटवारे और जलियांवाला बाग की कहानी सुनी है। यही वजह है कि इस त्रासदी को लेकर उनका भावनात्मक जुड़ाव गहरा है।
ऊधम सिंह के वारिसों की प्रतिक्रिया: “करण ने दिखाई देशभक्ति”
करण जौहर के इस साहसी बयान की शहीद ऊधम सिंह के परिवार ने खुलकर तारीफ की है। ऊधम सिंह वही क्रांतिकारी थे जिन्होंने 1940 में जनरल ओ’डायर को लंदन में गोली मारकर जलियांवाला बाग का बदला लिया था।
हरदियाल सिंह, मलकीत सिंह, गुरमीत सिंह समेत यादगार कमेटी के प्रतिनिधि जंगीर सिंह रत्न व केसर सिंह ने करण जौहर की सराहना करते हुए कहा: “106 साल बीत जाने के बाद भी जलियांवाला बाग का दर्द आज भी जिंदा है। डायर की पड़पोती का बयान उस जख्म को कुरेदने जैसा है। करण जौहर ने अपने बयान से साबित कर दिया कि वह एक सच्चे देशभक्त हैं।” उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि ब्रिटिश सरकार के समक्ष इस बयान का विरोध दर्ज कराया जाए और कैरोलिन डायर से आधिकारिक माफ़ी मांगी जाए।
जलियांवाला बाग: इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में एक
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हजारों लोग ब्रिटिश सरकार के दमनकारी रौलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे। उस समय जनरल माइकल ओ’डायर ने बगैर चेतावनी दिए सैनिकों को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 379 लोग मारे गए, लेकिन स्वतंत्र स्रोतों का दावा है कि यह संख्या हजारों में थी। बाग के एकमात्र संकरे गेट को बंद कर गोलियां चलाई गईं, जिससे लोग ना भाग सके और बाग में ही मारे गए।
ब्रिटेन की अब तक की चुप्पी: एक अधूरा माफीनामा
ब्रिटेन ने अब तक इस नरसंहार के लिए आधिकारिक रूप से माफी नहीं मांगी है। पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने 2019 में इसे “शर्मनाक घटना” बताया था, लेकिन सरकारी स्तर पर औपचारिक माफ़ी आज तक नहीं दी गई।
कैरोलिन डायर के हालिया बयान ने इस चुप्पी को और विवादास्पद बना दिया है। ब्रिटिश सरकार पर अब यह दबाव और बढ़ गया है कि वह ऐसे असंवेदनशील बयानों से खुद को अलग करे।
सोशल मीडिया पर आक्रोश: ‘हम नहीं भूलते’
कैरोलिन डायर के बयान और करण जौहर की प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर #JallianwalaBagh, #ShameOnCarolynDyer और #RespectTheMartyrs जैसे ट्रेंड्स चल रहे हैं। लोग इस बयान को ब्रिटिश औपनिवेशिक मानसिकता की एक नई कड़ी मान रहे हैं।
कई इतिहासकारों, लेखकों और एक्टिविस्ट्स ने भी कैरोलिन डायर के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह इतिहास से अज्ञानता और भारतीयों की पीड़ा के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है।