
पटना: बिहार के चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड में शामिल दूसरे आरोपी विकास उर्फ राजा को पटना पुलिस ने मंगलवार तड़के एनकाउंटर में मार गिराया। विकास पर आरोप था कि उसने मुख्य शूटर उमेश कुमार उर्फ विजय सहनी को हथियार मुहैया कराए थे। पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो उसने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई और विकास मारा गया। घटना के बाद पूरे पटना में हड़कंप मच गया है।
पुलिस के मुताबिक, सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात करीब 2:30 बजे पुलिस की एक विशेष टीम ने दमड़िया घाट क्षेत्र में छापेमारी की थी। सूचना मिली थी कि फरार आरोपी विकास उर्फ राजा वहीं छिपा हुआ है। पुलिस का इरादा था कि उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए ताकि हत्याकांड की गुत्थियों को पूरी तरह सुलझाया जा सके। लेकिन जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंची, विकास ने अपने पास मौजूद पिस्तौल से फायरिंग शुरू कर दी।
जवाबी कार्रवाई में ढेर हुआ विकास
पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी फायरिंग की, जिसमें विकास गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस के अनुसार, एनकाउंटर के दौरान किसी भी पुलिसकर्मी को चोट नहीं आई। घटनास्थल से एक पिस्तौल, कारतूस और हत्या में प्रयुक्त दोपहिया वाहन भी बरामद किया गया है।
29 वर्षीय विकास उर्फ राजा के खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और पुलिस को उसकी लंबे समय से तलाश थी। माना जा रहा है कि विकास ने ही गोपाल खेमका की हत्या में उपयोग किए गए हथियार और संसाधन शूटर को उपलब्ध कराए थे।
गोपाल खेमका हत्याकांड में अब तक की कार्रवाई
बता दें कि सोमवार देर शाम पटना पुलिस को इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड में एक बड़ी सफलता मिली थी, जब मुख्य शूटर उमेश कुमार उर्फ विजय सहनी को गिरफ्तार किया गया। वह पटना सिटी के माल सलामी क्षेत्र का निवासी है और खेमका की हत्या में उसकी सीधी संलिप्तता पाई गई है। विजय से पूछताछ में ही पुलिस को विकास उर्फ राजा के बारे में अहम सुराग मिला था। इसी के आधार पर दमड़िया घाट में छापेमारी की गई थी।
हत्या की साजिश में शामिल अन्य नाम भी उजागर
शूटर विजय सहनी से पूछताछ के दौरान पुलिस को यह भी पता चला है कि हत्या की सुपारी नालंदा निवासी अशोक साव नामक व्यक्ति ने दी थी। फिलहाल अशोक साव फरार है, लेकिन पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि इस हत्या के लिए लगभग तीन लाख रुपये की सुपारी दी गई थी, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है।
घटना से पहले की प्लानिंग और अपराध की सटीकता
उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या 4 जुलाई की रात उस समय हुई थी, जब वे बांकीपुर क्लब से अपनी कार से घर लौट रहे थे। जैसे ही वे गांधी मैदान के पास रामगुलाम चौक स्थित अपने आवास के सामने पहुंचे, पहले से घात लगाए अपराधियों ने उन पर गोली चला दी। खेमका को गंभीर अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
इस सनसनीखेज वारदात ने न केवल पटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि राज्य सरकार को भी विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करना पड़ा। विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब राजधानी में सुरक्षित नहीं है तो पूरे राज्य की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
विकास और विजय के कनेक्शन की परतें खुलीं
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, घटना की रात विकास और विजय दोनों साथ में थे। विजय ने हत्या को अंजाम दिया, जबकि विकास ने उसकी मदद की और फरार होने के लिए उसे वाहन और हथियार मुहैया कराए। विजय की गिरफ्तारी के बाद ही इस नेटवर्क की गहराई का पता चला, और पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि इस गिरोह में और कौन-कौन शामिल है।
पुलिस की सघन छानबीन जारी, कई और गिरफ्तारियां संभावित
अब तक की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे लगता है कि यह हत्याकांड न केवल आर्थिक दुश्मनी का परिणाम था, बल्कि इसमें एक संगठित गिरोह की भी भूमिका थी। पुलिस इस केस को पूरी तरह से उजागर करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। पटना पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है, जो अलग-अलग दिशाओं में काम कर रही है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जल्द ही अशोक साव को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा, जिससे इस केस में और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं।