

जुनून सच दिखाने का
पंजाब में आगामी पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में 15 अक्टूबर तक सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। यह फैसला 13,937 ग्राम पंचायतों में होने वाले चुनावों की सुरक्षा और सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
पंजाब में पंचायत चुनावों के लिए सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लगभग 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि चुनाव के दौरान सुरक्षा में कोई चूक न हो। राज्य चुनाव आयोग ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं ताकि सभी पुलिसकर्मी चुनावी क्षेत्र में मौजूद रह सकें और किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए तत्पर रहें।
पंजाब सरकार ने चुनावी माहौल को नियंत्रित करने के लिए चंडीगढ़ के सेक्टर 17E में एक स्पेशल कंट्रोल रूम भी बनाया है। इस कंट्रोल रूम का उद्देश्य मतदाताओं को अपने मुद्दों और शिकायतों के लिए एक मंच प्रदान करना है। इस कंट्रोल रूम का लैंडलाइन नंबर राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिससे लोग आसानी से अपनी समस्याएं दर्ज करा सकें।
पंजाब में ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव के दौरान तनाव को कम करने के लिए सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने पार्टी निशान पर चुनाव न कराने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य चुनाव के समय गांवों में होने वाले विवादों और तनाव को कम करना है। सरकार का मानना है कि इससे चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में मदद मिलेगी।
पंजाब में पंचायत चुनावों के लिए कुल 1 करोड़ 33 लाख मतदाता हैं। राज्य चुनाव आयोग ने इन मतदाताओं को लेकर विस्तृत योजनाएं बनाई हैं ताकि वे सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कर सकें। चुनावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए सरकार और पुलिस प्रशासन ने कई उपाय किए हैं।
पंचायत चुनावों को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए प्रशासनिक सहयोग और जन जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया, उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा, चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की समस्या के समाधान के लिए प्रशासन द्वारा उचित कदम उठाए जा रहे हैं।