
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान इलाके में शनिवार को तब तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई जब राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को स्थानीय ग्रामीणों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। राज्यपाल जब धुलियान के वार्ड-16 स्थित बेदवाना गांव से बिना ग्रामीणों से मिले वापस लौटने लगे, तो नाराज ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस विरोध को देखते हुए राज्यपाल को अपना कार्यक्रम बदलना पड़ा और उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी शिकायतें सुनीं।
यह घटना एक व्यापक हिंसा की पृष्ठभूमि में सामने आई है, जिसमें धुलियान और आसपास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक तनाव, तोड़फोड़ और हत्या की घटनाएं हुई हैं। बताया जा रहा है कि वक्फ अधिनियम के खिलाफ जारी प्रदर्शन के दौरान यह हिंसा भड़की। उपद्रवियों ने मंदिरों पर भी हमला किया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
ग्रामीणों की नाराजगी और विरोध प्रदर्शन
राज्यपाल शनिवार को जब बेदवाना गांव पहुंचे, तो ग्रामीणों को उम्मीद थी कि वे क्षेत्र में हाल ही में हुई हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात करेंगे। लेकिन जब राज्यपाल बिना किसी संवाद के लौटने लगे, तो नाराज ग्रामीणों ने उनका रास्ता रोक लिया और जोरदार विरोध जताया। स्थानीय लोगों का कहना था कि वे हिंसा से त्रस्त हैं और राज्यपाल से मिलकर अपनी आपबीती सुनाना चाहते थे।
स्थिति बिगड़ती देख राज्यपाल ने सुरक्षा घेरे के बीच ग्रामीणों से संवाद किया। उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान से सुना और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा।
हिंसा में जान गंवाने वालों से मिले राज्यपाल
राज्यपाल बोस ने इस दौरे के दौरान हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। अधिकारियों के अनुसार, राज्यपाल ने मृतकों के परिवारों को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया।
इन मृतकों में हरगोविंद दास और चंदन दास शामिल हैं, जिनके शव शमशेरगंज के जाफराबाद इलाके में उनके घर पर मिले थे। शवों पर चाकू से किए गए कई घाव पाए गए, जिससे साफ होता है कि हत्या बेहद क्रूर तरीके से की गई थी। इस जघन्य घटना ने पूरे जिले में भय का माहौल पैदा कर दिया है।
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया, “राज्यपाल ने पीड़ितों के परिवारों से बातचीत की और उनकी सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस घटना की निष्पक्ष जांच के लिए सरकार से अनुरोध करेंगे।”
परिजनों की मांग: CBI जांच हो
मृतकों के परिजनों ने राज्यपाल से स्पष्ट रूप से मांग की कि इस हिंसा और हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से करवाई जाए। उनका कहना है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर उन्हें भरोसा नहीं रहा।
परिजनों का आरोप है कि हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका निष्क्रिय रही और यदि समय रहते कदम उठाए गए होते, तो इन हत्याओं को रोका जा सकता था।
महिला आयोग की टीम भी पहुंची धुलियान
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक टीम ने भी शनिवार को धुलियान का दौरा किया। टीम ने हिंसा में प्रभावित महिलाओं से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।
बेटबोना कस्बे की कई महिलाओं ने आयोग को बताया कि हिंसा के दौरान उनके घरों में तोड़फोड़ की गई, महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार हुआ और परिवारों को जान बचाकर भागना पड़ा। उन्होंने केंद्र सरकार से स्थायी बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) कैंप की स्थापना की मांग की, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
रहाटकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की है। उनकी आपबीती ह्रदय विदारक है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्र सरकार पीड़ितों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाए।”
NIA जांच की भी उठी मांग
महिलाओं और अन्य ग्रामीणों ने इस घटना की NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) से जांच कराने की भी मांग की। उनका कहना है कि यह सिर्फ स्थानीय विवाद नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी साजिश और संगठित सांप्रदायिक हिंसा की योजना है, जिसे उजागर करना आवश्यक है।
स्थिति अब भी तनावपूर्ण, पुलिस बल तैनात
धुलियान और उसके आसपास के क्षेत्रों में अब भी भारी तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से निगरानी की जा रही है। इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जा सके।