
आगामी 2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित, व्यवस्थित और रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए परिवहन विभाग ने एक नई कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया है। इस योजना के अंतर्गत सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक संचालित होने वाली शटल सेवा में अब केवल उन्हीं टैक्सी और मैक्सी वाहनों को संचालन की अनुमति दी जाएगी जिनके पास ‘ग्रीन कार्ड’ होगा। ग्रीन कार्ड के बिना किसी वाहन का पंजीकरण संभव नहीं होगा, जिससे अव्यवस्था और अनाधिकृत वाहनों पर रोक लगाई जा सके।
शटल सेवा को प्रभावी बनाने की तैयारी
हर साल हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से केदारनाथ धाम की यात्रा पर आते हैं। भीड़ नियंत्रण और यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक शटल सेवा वर्षों से संचालित होती आ रही है। इस वर्ष प्रशासन ने इस सेवा को और अधिक व्यवस्थित करने के लिए खास कदम उठाए हैं।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) कुलवंत सिंह चौहान के अनुसार, “इस बार शटल सेवा के संचालन में पारदर्शिता और रोजगार वितरण की भावना से रोटेशन प्रणाली लागू की जा रही है। सभी टैक्सी-मैक्सी यूनियनों से उनके वाहनों की जानकारी मांगी गई है। इसके आधार पर प्रत्येक वाहन को सप्ताह दर सप्ताह रोटेशन में सेवा देने का मौका मिलेगा।”
क्या है ग्रीन कार्ड?
ग्रीन कार्ड एक प्रमाण पत्र की तरह है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वाहन यात्रा मानकों और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है। इसमें चालक का पंजीकरण, वाहन की फिटनेस, बीमा, प्रदूषण प्रमाणपत्र और अन्य ज़रूरी दस्तावेज़ों की जांच होती है।
ग्रीन कार्ड के उद्देश्य:
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अवैध और असुरक्षित वाहनों पर रोक
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यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
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पर्यावरणीय मानकों का पालन कराना
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टैक्सी-मैक्सी यूनियनों को मान्यता देना
रोटेशन से मिलेगा सभी को काम
पहले चरण में एक-एक सप्ताह के रोटेशन के तहत शटल सेवा चलाई जाएगी। इसका सीधा लाभ यह होगा कि हर यूनियन और चालक को बराबर काम का अवसर मिलेगा। इससे न केवल शटल सेवा में शामिल चालकों को स्थिर रोजगार मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे छोटे टैक्सी और मैक्सी संचालकों को भी लाभ होगा।
परिवहन विभाग का मानना है कि रोटेशन प्रणाली से भ्रष्टाचार, भेदभाव और गुटबाजी जैसी समस्याओं पर भी रोक लगेगी। साथ ही, श्रमिकों में आपसी सहयोग और समन्वय बढ़ेगा।
किराया तय – मात्र 50 रुपये प्रति सवारी
इस बार की यात्रा में यात्रियों को सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक की शटल सेवा के लिए एक तरफ का किराया 50 रुपये प्रति सवारी देना होगा। यह दर पहले से तय की गई है ताकि कोई चालक मनमाना शुल्क न वसूल सके।
क्यों जरूरी है शटल सेवा?
केदारनाथ यात्रा मार्ग बेहद संकरा और संवेदनशील है। सोनप्रयाग के बाद वाहनों की भारी आवाजाही से जाम और दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। इसलिए कई वर्षों से प्रशासन ने गौरीकुंड तक निजी वाहनों की एंट्री पर रोक लगा रखी है और केवल शटल सेवा के ज़रिए यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया जाता है।
इस व्यवस्था से:
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ट्रैफिक नियंत्रण आसान होता है
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पर्यावरणीय दबाव कम होता है
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यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित होती है
अब तक की तैयारियां
परिवहन विभाग ने जिले के सभी टैक्सी-मैक्सी यूनियनों को नोटिस भेज दिया है कि वे अपने-अपने वाहनों की सूची जल्द से जल्द जमा करें। एआरटीओ कार्यालय में ग्रीन कार्ड पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसमें वाहन फिटनेस टेस्ट से लेकर ड्राइवर की पुलिस वेरीफिकेशन तक की प्रक्रिया शामिल है।
कुलवंत सिंह चौहान ने बताया कि विभाग की टीम दिन-रात जुटी हुई है ताकि 2 मई तक सभी तैयारियां पूरी हो जाएं और यात्रा बिना किसी अव्यवस्था के शुरू हो सके।