गुरुग्राम जो दिल्ली से सटा हुआ एक प्रमुख शहरी केंद्र है, इन दिनों बढ़ते प्रदूषण से जूझ रहा है। वायु गुणवत्ता स्तर में भारी गिरावट के कारण स्थानीय प्रशासन ने कई अहम कदम उठाए हैं, जिनमें निजी दफ्तरों में कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह देने का निर्णय प्रमुख है। इसके अलावा, प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए स्कूलों में छुट्टियां भी बढ़ा दी गई हैं।
प्रदूषण के कारण गुरुग्राम में वर्क फ्रॉम होम की सलाह
गुरुग्राम में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (NCAP) के निर्देशों का पालन करते हुए, 20 नवंबर 2024 से गुरुग्राम के सभी निजी दफ्तरों और कॉर्पोरेट संस्थानों को 50% वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी लागू करने की सलाह दी गई है। इस कदम का उद्देश्य “गंभीर” वायु गुणवत्ता स्तरों से निपटना और क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है।
क्या है GRAP और क्यों लिया गया यह कदम?
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) वायु प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए एक योजना है, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करना है। GRAP के तहत जब वायु गुणवत्ता “गंभीर” या “आपातकालीन” स्तर पर पहुंच जाती है, तो सरकारी अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें स्कूलों और दफ्तरों को बंद करना, निर्माण कार्यों पर रोक लगाना, और वर्क फ्रॉम होम जैसी पॉलिसी लागू करना शामिल है।
गुरुग्राम में प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही थी, जिससे शहरवासियों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, गुरुग्राम के सरकारी अधिकारियों ने यह कदम उठाया है। गुरुग्राम में यह नीति तब लागू की गई है, जब क्षेत्र में PM2.5 (वह सूक्ष्म कण जो वायु प्रदूषण में वृद्धि करते हैं) का स्तर बहुत उच्च स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे आम लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा है।
प्रदूषण का कारण और उसका प्रभाव
गुरुग्राम में बढ़ते प्रदूषण के प्रमुख कारणों में निर्माण कार्यों, वाहन प्रदूषण, और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से निकलने वाला धुंआ शामिल हैं। वायु में घुली ये जहरीली गैसें और प्रदूषक तत्व न केवल शहरवासियों के लिए असहज हो गए हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी जन्म दे रहे हैं, जैसे कि सांस की बीमारियां, अस्थमा, और दिल की समस्याएं। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इस प्रदूषण में सांस लेना शारीरिक रूप से हानिकारक हो सकता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
इसके अलावा, इस प्रदूषण का असर शहरी पर्यावरण पर भी पड़ रहा है, जिससे जीवन के सामान्य ढांचे में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। यह स्थिति एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का रूप ले चुकी है, जिसके लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।
स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाई गईं
प्रदूषण के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा सरकार ने सोमवार (18 नवंबर) को राज्य के कई जिलों में 12वीं तक के स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया। राज्य सरकार के आदेश के अनुसार गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह, झज्जर, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, सोनीपत, महेन्द्रगढ़ और रेवाड़ी जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
इस फैसले के बाद स्कूल शिक्षा निदेशालय ने एक निर्देश जारी किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि सरकारी और निजी स्कूलों में 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए कक्षाएं स्थगित की जा सकती हैं और इसके बजाय ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। यह कदम छात्रों को प्रदूषण से बचाने और उनकी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।
ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन
स्कूल शिक्षा निदेशालय ने अधिकारियों से कहा कि यदि स्थिति सामान्य नहीं होती, तो ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। यह निर्णय छात्रों के लिए एक सुरक्षित विकल्प सुनिश्चित करता है ताकि वे घर पर रहकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें और प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना न करें।