
सोनीपत के प्रमुख मंदिरों सहित विभिन्न स्थलों पर गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर शहर में कई स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भगवान गोवर्धन की विधिविधान से पूजा-अर्चना की। भंडारे में प्रसाद वितरित किया गया, जिससे क्षेत्र में धार्मिक उत्सव की खुशबू फैल गई।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की स्मृति में यह उत्सव मनाते हैं। इस बार सोनीपत में विशेष उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने न केवल पूजा की, बल्कि विभिन्न स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया।
प्रमुख आयोजनों की झलक
कुंडली स्थित श्री अग्रसेन धाम में इस बार भव्य गोवर्धन पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। यहां 5100 किलो गोबर से बने 36 फुट के गोवर्धन महाराज की पूजा की गई। श्रद्धालुओं ने 31 थालों से महाआरती कर इस पर्व को और भी भव्यता प्रदान की।
शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। ककरोई चौक स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर, महावीर कॉलोनी के सिद्धपीठ श्री लक्ष्मीनारायण बालाजी मंदिर, नरेंद्र नगर में शिव मंदिर, गुड़ मंडी बाजार में शिव सेवा समिति और श्री श्याम मंदिर सोनीपत धाम सहित विभिन्न स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया गया।
भंडारे की तैयारी और आयोजन
भंडारे में आम जनता के लिए खाने-पीने का विशेष प्रबंध किया गया था। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर एक-दूसरे के साथ इस पर्व का आनंद लिया। महोत्सव के दौरान कारीगरों ने 5100 किलो गाय के गोबर से 36 फीट का गोवर्धन तैयार किया, जो श्रद्धा का प्रतीक बनकर सबके सामने प्रस्तुत हुआ।
समारोह में श्रद्धालुओं की भागीदारी
इस वर्ष का महोत्सव और भी खास था, क्योंकि सोनीपत और आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे। श्रद्धालुओं ने दूर-दराज से आए कारीगरों द्वारा बनाए गए गोवर्धन की परिक्रमा की और पूजा-अर्चना की। आयोजक राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह पर्व हर वर्ष की भांति श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे भगवान गोवर्धन की पूजा कर श्री बांके बिहारी जी के दर्शन करते हैं।
कारीगरों का अद्वितीय योगदान
गोवर्धन महाराज के संपूर्ण स्वरूप को तैयार करने में कारीगरों ने 108 घंटे का समय लगाया। इसके बाद गोवर्धन महाराज का आलौकिक श्रृंगार किया गया। यह प्रतिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आकर्षित हुए।
धार्मिक समागम और संकीर्तन
अग्रसेन धाम में गोवर्धन पूजा महोत्सव पर संकीर्तन भी आयोजित किया गया। यह आयोजन श्रद्धालुओं को भक्ति के रस में रंगने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। संकीर्तन के दौरान भक्तगण भगवान कृष्ण के भजनों में लीन हो गए और पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।