हरियाणा विधानसभा चुनाव: 250 ग्राम की जलेवी राहुल गाँधी को क्यों आयी पसंद, चुनावी रैली में कर दिया जिक्र
हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुँच गया है। इस बार का चुनावी माहौल गर्म है, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए हरियाणा में ताबड़तोड़ रैलियों और रोड शो का आयोजन किया है।
मंगलवार को राहुल गांधी सोनीपत में थे, जहाँ उन्होंने गरीब परिवार के घर जाकर चूल्हे पर बने देसी खाने का स्वाद लिया। उनकी यह अनोखी पहल दर्शाती है कि वे साधारण लोगों के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद वे गोहाना पहुंचे, जहाँ मंच पर उन्होंने मातूराम हलवाई की मशहूर जलेबी का स्वाद चखा।
जलेबी का महत्व: राहुल गांधी का अनोखा अनुभव
गोहाना में मंच पर राहुल गांधी ने दीपेंद्र हुड्डा के हाथों से जलेबी खाई। उन्होंने इसे इतना पसंद किया कि एक डिब्बा अपनी बहन प्रियंका गांधी के लिए पैक करवा लिया। राहुल की इस जलेबी के प्रति दीवानगी ने उनकी रैली में चर्चा का विषय बना दिया।
लाला मातूराम की जलेबी कोई साधारण जलेबी नहीं है। इनका आकार सामान्य जलेबी से कहीं अधिक बड़ा है और इनकी खासियत उन्हें खास बनाती है।
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मातूराम हलवाई का अद्वितीय योगदान
जलेबी की इस खासियत के पीछे का कर्ता-धर्ता है मातूराम हलवाई, जो पेशे से किसान हैं। उनका जन्म गोहाना के लाठ जोली गांव में हुआ था। साल 1955 में लाला मातूराम ने गोहाना में अपने हाथों से पुरानी मंडी में लकड़ी का खोखा तैयार किया और वहाँ जलेबी बनाने का काम शुरू किया।
मातूराम हलवाई की जलेबी का वजन लगभग 250 ग्राम होता है। यह जलेबी ऊपर से करारी और अंदर से नरम होती है। इसे पूरी तरह देसी घी में बनाया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार का रंग या रसायन नहीं डाला जाता। ताजगी और शुद्धता के कारण ये जलेबियाँ 10 से 12 दिन तक खराब नहीं होतीं और न ही इनके स्वाद में कमी आती है।
चुनावी माहौल में जलेबी का स्थान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस जलेबी का जिक्र सिर्फ एक मिठाई तक सीमित नहीं है। यह स्थानीय संस्कृति, परंपरा और खाद्य विशेषताओं का प्रतीक भी है। राहुल गांधी का इस जलेबी को चखना और इसके प्रति उनकी प्रशंसा दर्शाती है कि वे स्थानीय संस्कृति को समझते हैं और इसे प्रचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
राजनीतिक रणनीति: स्थानीय संस्कृति को अपनाना
राहुल गांधी का यह कदम न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह दर्शाता है कि वे हरियाणा की स्थानीय संस्कृति के प्रति सम्मान रखते हैं। इससे वे आम जनता से जुड़ते हैं और अपने राजनीतिक संदेश को अधिक प्रभावी तरीके से पहुंचाते हैं।
इस प्रकार, जलेबी ने न केवल राहुल गांधी के दिल में स्थान बनाया है, बल्कि हरियाणा की जनता के बीच भी इसकी चर्चा का विषय बन गई है।
नतीजा: जलेबी का प्रभाव और चुनावी जीत
हरियाणा विधानसभा चुनाव के इस अंतिम चरण में, राहुल गांधी का यह अनोखा अनुभव उन्हें मतदाताओं के बीच अधिक निकटता दिलाने में मदद कर सकता है। यह साबित करता है कि राजनीति में केवल बड़े मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और खाद्य विशेषताओं पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
राहुल गांधी के इस कदम से यह भी स्पष्ट होता है कि वे अपने चुनावी अभियान में विविधता लाने का प्रयास कर रहे हैं। जलेबी का यह अनुभव न केवल उनकी व्यक्तिगत पसंद का परिचायक है, बल्कि यह चुनावी प्रचार में एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में भी सामने आया है।