चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के परिणामों में बीजेपी ने एक बार फिर अपनी ताकत साबित की है। जबकि कई एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की जीत का दावा किया गया था, अब आए रुझान बीजेपी के पक्ष में स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। बीजेपी 50 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना चुकी है, जबकि कांग्रेस को 35 सीटों पर आगे रहने का दावा करना पड़ रहा है।
वोट प्रतिशत में कांटे की टक्कर
हरियाणा के चुनावी आंकड़ों में वोट प्रतिशत की बात की जाए, तो दोनों प्रमुख दलों, कांग्रेस और बीजेपी, को लगभग समान वोट मिले हैं। कांग्रेस को 39.89% वोट मिले हैं, वहीं बीजेपी को 39.63% वोट हासिल हुए हैं। हालांकि, सीटों की संख्या में बीजेपी की बढ़त स्पष्ट रूप से दिख रही है।
‘तीसरे’ का प्रभाव
इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसे समझना जरूरी है: ‘तीसरा’ विकल्प। अन्य उम्मीदवारों को 11.09% वोट मिले हैं, जो कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच की टक्कर का असली कारण बनता है। यदि यह वोट कांग्रेस के पक्ष में जाते, तो स्थिति पूरी तरह से अलग हो सकती थी।
निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका
इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे चल रहे हैं, जो कांग्रेस के लिए एक और झटका साबित हो सकता है। बहादुरगढ़ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार राजेश जून 24 हजार से अधिक वोटों से आगे हैं, जबकि कांग्रेस के राजेंद्र सिंह जून दूसरे स्थान पर हैं।
बागी कांग्रेस उम्मीदवारों का प्रदर्शन
कांग्रेस की परेशानी और बढ़ जाती है जब हम देखते हैं कि पार्टी द्वारा सस्पेंड किए गए उम्मीदवार भी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। अंबाला कैंट सीट पर चित्रा सरवारा, जो पहले कांग्रेस का हिस्सा थीं, अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बीजेपी के दिग्गज नेता अनिल विज को कड़ी टक्कर दे रही हैं। चित्रा ने 29 हजार से अधिक वोट प्राप्त कर लिए हैं, जबकि कांग्रेस का उम्मीदवार 10 हजार वोट भी नहीं जुटा सका।
भविष्य की राजनीति
हरियाणा में चुनावी रुझानों के मुताबिक, बीजेपी एक बार फिर से सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। हालांकि, कांग्रेस के लिए यह चुनाव कई सवाल उठाता है। क्या पार्टी अपने समर्थकों को पुनः संगठित कर पाएगी? क्या वह अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में सफल होगी?
कांग्रेस के लिए चुनौती
कांग्रेस को अब अपने नेतृत्व और रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करना होगा। पार्टी ने अपने कुछ महत्वपूर्ण नेताओं को सस्पेंड किया है, इस प्रकार के बागी उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है।