
हरियाणा-पंजाब सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। किसान छह दिसंबर से दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेंगे, जिसमें वे 12 प्रमुख मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इन मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, किसानों का कर्ज माफ करने, और फसलों के उचित मूल्य की मांग प्रमुख हैं। किसानों का यह मार्च हरियाणा से होते हुए दिल्ली की ओर बढ़ेगा, और इससे संबंधित रिव्यू मीटिंग मंगलवार को हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित की गई।
किसानों का पैदल मार्च: 12 मुख्य मांगें
- एमएसपी की कानूनी गारंटी
- किसान कर्ज माफी
- फसलों की बीमा योजना में सुधार
- कृषि कानूनों के खिलाफ आपत्ति
- फसलों के लिए सही और समय पर भुगतान
- कृषि उपज के उचित मूल्य की गारंटी
- पानी की समस्या का समाधान
- कृषि क्षेत्र में बढ़ते लागत दबाव पर राहत
- नशे की समस्या पर कड़े कदम
- खराब मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को मुआवजा
- किसान सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा योजना
- पशु पालन और डेयरी उद्योग के लिए सहायता पैकेज
किसान संघों ने इन सभी मुद्दों पर सरकार से ठोस और स्थायी समाधान की मांग की है और वे इसे लेकर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। 6 दिसंबर को शुरू होने वाला यह मार्च किसानों के संगठनों द्वारा प्रदर्शित की जा रही एकजुटता और शक्ति का प्रतीक होगा।
हरियाणा सरकार की स्थिति: एमएसपी पर खरीद की गारंटी
किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर, हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। मंगलवार को आयोजित रिव्यू मीटिंग में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश के किसानों की फसलें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में 100 प्रतिशत फसलों की खरीद एमएसपी पर हो रही है और इस संबंध में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी। मुख्यमंत्री सैनी ने यह भी कहा कि पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने एमएसपी को बढ़ाया है और किसानों को लगातार फसल बीमा योजना और किसान सम्मान निधि के तहत आर्थिक सहायता दी जा रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने झूठ फैलाया था कि केंद्र सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी, लेकिन वास्तविकता यह है कि पिछले एक दशक में एमएसपी को बढ़ाया गया है।
सैनी ने किसानों से यह अपील भी की कि वे फसलों पर कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग न करें। उनका कहना था कि पंजाब में कैंसर के मामलों की बढ़ोतरी का मुख्य कारण फसलों में अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल हो रहा है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हैं।
किसानों से अपील: जैविक खेती की ओर बढ़ें
मुख्यमंत्री ने किसानों से यह भी अपील की कि वे जैविक खेती की ओर बढ़ें, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए बजट का प्रावधान किया है। उनका मानना है कि जैविक खेती से किसानों को बेहतर दाम मिलेगा क्योंकि लोग बिना रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग वाली फसलों को प्राथमिकता देने लगे हैं।
इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने सभी किसान संगठनों से यह भी अनुरोध किया कि वे किसानों को जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूक करें, ताकि किसान अपने कृषि पैटर्न को बदलकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
कांग्रेस पर हमला
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोला और कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में किसानों को फसल के नुकसान के लिए उचित मुआवजा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में किसानों को कितने मुआवजे दिए।
मुख्यमंत्री के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और एमएसपी की बढ़ोतरी प्रमुख हैं। उनके अनुसार, कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि उसने अपने शासनकाल में किसानों के लिए क्या किया और कितने किसानों को मुआवजा दिया।