
हरियाणा में नई सरकार के विधानसभा सत्र की तिथि अब फाइनल हो चुकी है। यह सत्र 25 अक्टूबर से शुरू होगा और दो दिन तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण सत्र की शुरुआत में विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक रघुबीर सिंह कादयान को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। कादयान, जो पहले भी विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं, 25 अक्टूबर को सुबह 10 बजे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से शपथ लेंगे। इसके बाद, प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे।
विधानसभा में नए नेतृत्व का चुनाव
इस विधानसभा सत्र के दौरान, सदन में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव भी होंगे। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि विधायक हरविंद्र कल्याण या मूलचंद शर्मा को स्पीकर बनाया जा सकता है। वहीं, डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी विधायक कृष्ण मिड्ढा या रामकुमार गौतम को दिए जाने की संभावना है।
रघुबीर सिंह कादयान: एक अनुभवी नेता
रघुबीर सिंह कादयान की राजनीतिक यात्रा बहुत ही दिलचस्प है। 80 वर्षीय कादयान ने झज्जर जिले की बेरी विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार पवन सैनी को हराकर एक बार फिर विधानसभा में जगह बनाई है। कादयान को 57,665 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सैनी को 33,070 वोट प्राप्त हुए।
कादयान की राजनीतिक यात्रा 1987 में लोकदल पार्टी से चुनाव लड़ने के साथ शुरू हुई थी। उन्होंने उस बार जीत हासिल की, लेकिन 1991 में जनता दल और 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने 2000 से लगातार पांच बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और हर बार सफलता पाई।
विधानसभा सत्र का महत्व
यह विधानसभा सत्र हरियाणा की राजनीति में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अवसर प्रदान करेगा। नई सरकार के कार्यों और नीतियों को स्थापित करने का यह पहला मंच होगा। इसके साथ ही, विधानसभा में चुनावी चर्चा और विधायकों के बीच संवाद भी महत्वपूर्ण रहेगा।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बड़े ऐलान
सीएम नायब सिंह सैनी ने अपनी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं। इनमें से एक प्रमुख घोषणा किडनी की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए फ्री डायलिसिस की सुविधा प्रदान करने की है। यह सुविधा भविष्य में मेडिकल कॉलेजों में भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे मरीजों को चिकित्सा सुविधा में सुधार मिलेगा।
एससी आरक्षण में वर्गीकरण
इसके अलावा, सैनी ने एससी आरक्षण में वर्गीकरण करने का भी ऐलान किया है। वर्तमान में, अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण है। इस 22.5 प्रतिशत आरक्षण के तहत, राज्य उन कमजोर वर्गों का कोटा निर्धारित करेगा, जिसका प्रतिनिधित्व कम है। यह निर्णय समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है