हरियाणा सरकार ने उन मजदूरों के लिए आर्थिक मदद देने का फैसला किया है, जिनकी कमाई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लागू ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के कारण प्रभावित हो गई है। राज्य के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने इस फैसले की घोषणा करते हुए बताया कि एनसीआर क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण प्रभावित मजदूरों को सरकार की ओर से साप्ताहिक निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य उन मजदूरों को मदद देना है जो निर्माण कार्यों के रुकने से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो गए हैं। मंत्री विज ने कहा कि यह भत्ता सीधे प्रभावित मजदूरों के बैंक खातों में जमा किया जाएगा ताकि उनका भरण-पोषण सुचारू रूप से हो सके।
ग्रैप-4 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों का असर
ग्रैप-4 के तहत हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद लिया गया था ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और लोगों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके। हालांकि इस निर्णय का असर लाखों मजदूरों पर पड़ा है, जो रोजाना निर्माण कार्यों से अपनी आजीविका कमाते थे। ग्रैप-4 के लागू होने से, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के जिलों में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। इस दौरान कई निर्माण परियोजनाओं को ठप कर दिया गया जिससे वहां काम कर रहे मजदूरों की कमाई पूरी तरह से रुक गई। मजदूरों के पास अब रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए कोई साधन नहीं बचा था।
हरियाणा सरकार का राहत पैकेज
हरियाणा सरकार ने इस संकट से प्रभावित मजदूरों की मदद के लिए एक राहत पैकेज तैयार किया है। मंत्री अनिल विज ने बताया कि एनसीआर के जिलों में करीब दो लाख पंजीकृत मजदूर हैं जो ग्रैप-4 के प्रभाव से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। इन मजदूरों को साप्ताहिक निर्वाह भत्ता देने के लिए सरकार ने 65 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च तय किया है। मंत्री ने श्रम विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस योजना को शीघ्र लागू करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रभावित मजदूरों को समय पर सहायता मिले। उन्होंने कहा कि यह भत्ता मजदूरों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा, ताकि वे अपने परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी निभा सकें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और हरियाणा सरकार का तत्पर कदम
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर के अंतर्गत आने वाले राज्यों को निर्देशित किया था कि वे उन मजदूरों को आर्थिक मदद प्रदान करें, जो निर्माण कार्यों के रुकने के कारण बेघर हो गए हैं या जिनकी आजीविका प्रभावित हुई है। इस पर हरियाणा सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए यह राहत योजना शुरू की है। हरियाणा सरकार का यह कदम मजदूरों के प्रति उसकी जिम्मेदारी और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मंत्री विज ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी मजदूर को उनकी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई नहीं आने देगी और वह उन्हें सरकार की ओर से दी जाने वाली वित्तीय मदद से उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगी।
राहत राशि का वितरण
हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह साप्ताहिक निर्वाह भत्ता मजदूरों के बैंक खातों में सीधे जमा किया जाएगा ताकि इसमें किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके और मदद सही व्यक्ति तक पहुंचे। इससे पहले कई बार देखा गया था कि सरकारी योजनाओं में बिचौलियों द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाता था, लेकिन इस बार सरकार ने एक पारदर्शी तरीका अपनाने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत हर मजदूर को साप्ताहिक भत्ता प्राप्त होगा, जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जितनी जल्दी संभव हो, यह योजना सभी प्रभावित मजदूरों तक पहुंचाई जाएगी।
मजदूरों के लिए भविष्य में क्या?
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह राहत योजना केवल अस्थायी है और जैसे ही ग्रैप-4 के प्रतिबंध में कुछ ढील दी जाएगी, मजदूर फिर से अपने काम में लग सकेंगे। इसके साथ ही सरकार ने यह सुनिश्चित करने की भी कोशिश की है कि जब निर्माण गतिविधियां फिर से शुरू हों, तो मजदूरों को वापस रोजगार मिलने में कोई कठिनाई न हो।
सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि भविष्य में यदि इस तरह के संकट आते हैं तो सरकार पहले से तैयार रहेगी और मजदूरों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।