
हरियाणा प्रदेश ने विकास की दिशा में देश के अग्रणी राज्यों में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। प्रदेश का यह विकास केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी सराहा जा रहा है। रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस बात को स्पष्ट किया जब वे धर्मनगरी कुरुक्षेत्र पहुंचे और यहां के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित किया। वे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव सहित कई कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए धर्मनगरी आए थे, जहां उनके साथ राज्यपाल भंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी उपस्थित थे।
गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता
उपराष्ट्रपति ने गीता के महत्व को भी विशेष रूप से उजागर किया और कहा कि गीता का दिया गया संदेश आज भी पूरी मानवता के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “यह वह भूमि है जहां गीता का ज्ञान दिया गया। यही वह धरा है, जिसने पूरी दुनिया को ज्ञान का प्रकाश दिया। आज यह भूमि विकास के हर क्षेत्र में अग्रणी बन चुकी है। अब विकसित भारत केवल एक सपना नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट लक्ष्य बन चुका है।”
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है और इसे जन आंदोलन का रूप लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, और ग्राम पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि यह आंदोलन सफल हो सके। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “हर किसी को अपनी माँ के नाम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए। तभी हम इस धरा को बचा सकेंगे।”
देवी कूप मां श्री भद्रकाली के शक्तिपीठ में पूजा-अर्चना
अपने दौरे की शुरुआत उपराष्ट्रपति ने देवी कूप मां श्री भद्रकाली के एकमात्र शक्तिपीठ से की। यहां उन्होंने अपनी धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान पीठाधीश पंडित सतपाल शर्मा ने परंपरा अनुसार मंत्रोच्चारण कर पूजा की रस्म अदा करवाई। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने इस स्थान के धार्मिक महत्व को भी महसूस किया और कहा कि यह स्थान न केवल हरियाणा के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक पवित्र स्थान है।
गीता महोत्सव और पर्यावरण संरक्षण पर उपराष्ट्रपति का संदेश
इसके बाद, उपराष्ट्रपति गीता महोत्सव के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पवित्र ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग पहुंचे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने अपनी माता स्वर्गीय केसरी देवी की याद में कदंब का पौधा रोपा और उनकी धर्मपत्नी ने अपनी माता स्वर्गीय भगवती देवी की याद में रूद्राक्ष का पौधा रोपा।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदार बनना होगा। यह एक जन आंदोलन बनाना होगा, जिसमें हर कोई शामिल हो। हम सभी को अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए। यही हमारी ज़िम्मेदारी है।” उनका यह संदेश एक बार फिर यह साबित करता है कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता और उसका संरक्षण हर नागरिक की जिम्मेदारी बन चुकी है।
राज्यस्तरीय प्रगतिशील हरियाणा प्रदर्शनी का अवलोकन
उपराष्ट्रपति ने इसके बाद राज्यस्तरीय प्रगतिशील हरियाणा प्रदर्शनी का भी दौरा किया। प्रदर्शनी में विभिन्न विभागों के स्टॉल और हरियाणा पैवेलियन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के स्टॉल पर सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने उनका स्वागत करते हुए उन्हें अंगवस्त्र भेंट किया।
प्रदर्शनी में उपराष्ट्रपति ने प्रदेश की विकास यात्रा को और भी करीब से देखा। राज्य की विकास परियोजनाओं और उनके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए उन्होंने सभी विभागों को अपने कार्यों को और प्रभावी बनाने का सुझाव दिया। प्रदर्शनी के दौरान स्वामी ज्ञानानंद महाराज और अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी उनका स्वागत किया।
सामूहिक चित्र में शामिल हुए उपराष्ट्रपति और अन्य अधिकारी
दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी धर्मपत्नी सुदेश धनखड़, राज्यपाल भंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने मिलकर श्रीकृष्ण अर्जुन रथ के पास सामूहिक चित्र भी खिंचवाया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती, भा.ज.पा. जिलाध्यक्ष सुशील राणा, चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, धुमन सिंह किरमच, मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, और 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा भी मौजूद थे।
यह सामूहिक चित्र दर्शाता है कि हरियाणा प्रदेश में सरकार और जनता के बीच एक सशक्त साझेदारी है, और राज्य के विकास में सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह एक संकेत है कि हरियाणा अपने विकास के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और इसमें हर नागरिक का योगदान अनिवार्य है।