HARYANA: सोनीपत में प्रदूषण की स्थिति बेहद खतरनाक, स्मॉग से लोग परेशान
दिल्ली-एनसीआर के हिस्से के रूप में सोनीपत में वायु प्रदूषण का स्तर इस समय बेहद खराब स्थिति में है। खासकर सर्दी के मौसम में, जहां हवा में धुंध और स्मॉग की परत बढ़ गई है, वहां लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। सोनीपत में रविवार को प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया, जिससे शहरवासियों की चिंता बढ़ गई है।
स्मॉग के कारण हवा बनी दमघोंटू
सोनीपत में सुबह के समय भारी स्मॉग ने वातावरण को घेर लिया, जिससे धुंध और उसमें मिले धूल और धुएं के कणों ने हवा को और भी जहरीला बना दिया है। इस कारण से लोगों को न केवल सांस लेने में समस्या हो रही है, बल्कि गले में खराश भी महसूस हो रही है। कई क्षेत्रों में स्मॉग के कारण हवा ने दमघोंटू स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिससे न केवल बाहर चलना मुश्किल हो गया है, बल्कि शारीरिक गतिविधियां भी सीमित हो गई हैं।
यह समस्या खासकर सुबह और रात के समय अधिक बढ़ जाती है, जबकि दिन में हल्की हवा चलने से मौसम थोड़ी देर के लिए साफ हो जाता है, लेकिन प्रदूषण की समस्या फिर भी बनी रहती है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक 360 तक पहुंचा
सोनीपत का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) इस समय 360 के आसपास रिकॉर्ड किया जा रहा है, जो कि “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और खासकर उन लोगों के लिए गंभीर हो सकता है जो श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। यदि यह स्थिति और बिगड़ती है, तो यह लोगों के लिए और भी अधिक मुश्किलें पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के साथ प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, क्योंकि ठंडी हवाओं के कारण हवा में धुंध और प्रदूषक तत्व अधिक समय तक बने रहते हैं।
पीएम-10 और पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक
रविवार को सोनीपत में पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर 10) का स्तर 451 तक पहुंच गया, जबकि पीएम 2.5 का स्तर 453 रिकॉर्ड किया गया। यह दोनों ही प्रदूषण तत्व स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक माने जाते हैं। पीएम-10 और पीएम 2.5 के इन उच्च स्तरों का असर न केवल सामान्य लोगों पर पड़ता है, बल्कि बुजुर्गों, बच्चों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।
इन प्रदूषक तत्वों के कारण श्वसन तंत्र पर असर पड़ता है और इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, दिल की बीमारियों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
बुजुर्गों और बच्चों के लिए अधिक खतरा
सर्दी के मौसम में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ ही विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने बुजुर्गों, बच्चों और खासकर श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को घर में रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि स्मॉग और प्रदूषण के कणों से बचने के लिए इन समूहों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है।
चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण से बचने के लिए लोग घर के अंदर रहें, खासकर सुबह और शाम के समय जब स्मॉग अधिक घना होता है। इसके अलावा, जो लोग सुबह-शाम अपनी नियमित सैर या शारीरिक व्यायाम के लिए बाहर जाते हैं, उन्हें भी विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
मास्क और सावधानी बरतने की सलाह
वृद्धजनों और श्वसन रोगियों को चिकित्सकों ने उच्च गुणवत्ता वाले मास्क पहनने की सलाह दी है। खासकर, जो लोग बाहर निकलने के लिए मजबूर हैं, उन्हें एन95 या इससे अच्छे मास्क पहनने के लिए कहा जा रहा है। यह मास्क हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को श्वसन तंत्र में घुसने से रोकने में मदद करते हैं।
इसके साथ ही चिकित्सकों ने यह भी कहा है कि लोग अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, ताकि बाहर से आ रहे प्रदूषित तत्वों को घर में प्रवेश करने से रोका जा सके।