
हरियाणा सरकार ने राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। पिछले कुछ महीनों में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी और वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सरकार ने न केवल किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, बल्कि कृषि विभाग के अफसरों पर भी कड़ी निगरानी रखी है।
सरकार ने हाल ही में 21 अफसरों के खिलाफ सीएक्यूएम अधिनियम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) की धारा 14 के तहत शिकायत दर्ज की है। ये अफसर कृषि विभाग से संबंधित हैं और विभिन्न क्षेत्रों में पराली जलाने को रोकने के लिए नोडल ऑफिसर और सुपरवाइजर के रूप में जिम्मेदार थे। अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई तब की गई जब विभागीय जांच में पराली जलाने की रोकथाम में उनकी लापरवाही सामने आई।
हरियाणा में पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई
हरियाणा में पराली जलाने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही थी, जिसके चलते वायु गुणवत्ता और प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई थी। सरकार ने इस समस्या को लेकर अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है और अधिकारियों को किसी भी प्रकार की कोताही बरतने पर सख्त सजा देने की चेतावनी दी है।
विभागीय अधिकारियों के खिलाफ अब तक 26 अफसरों को निलंबित किया जा चुका है। इनमें से अधिकांश कृषि विभाग के अधिकारी हैं, जिन्हें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने के कारण निलंबित किया गया। इसके अलावा 382 अधिकारियों को नोटिस भी जारी किए गए हैं।
वहीं, राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। अब तक 682 किसानों की “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर रेड एंट्री हो चुकी है, जिसके कारण ये किसान अगले दो सीजन तक अपनी फसल एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर नहीं बेच सकेंगे। इसके अलावा, सरकार ने अब तक 373 चालान कर किसानों से कुल 9 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला है।
सीएक्यूएम अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई
सीएक्यूएम अधिनियम, जिसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के तहत लागू किया गया है, राज्य और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक अहम कानूनी प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इस अधिनियम के तहत कोई भी अधिकारी, जो पराली जलाने को रोकने में असफल रहता है, उसके खिलाफ जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उसे निलंबित किया जा सकता है।
राज्य के 21 कृषि विभाग के अधिकारियों पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाई नहीं, जिसके चलते पराली जलाने की घटनाओं को बढ़ावा मिला। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत इन सभी के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। इस मामले में विभागीय जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रदूषण में वृद्धि: हरियाणा में एक्यूआई की स्थिति
दिवाली के बाद हरियाणा में प्रदूषण की स्थिति में थोड़ी राहत आई है, लेकिन राज्य के कई जिलों में वायु गुणवत्ता अब भी खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। बुधवार को राज्य के 13 जिलों का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 200 के पार था, जो चिंता का विषय है। गुरुग्राम, सिरसा, रोहतक जैसे शहरों में एक्यूआई गंभीर रूप से बढ़ चुका है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं।
गुरुग्राम में सबसे खराब स्थिति थी, जहां का एक्यूआई 293 पर था। यहां सुबह 8 बजे एक्यूआई 304 तक पहुंच गया था। इसके बाद, सिरसा और रोहतक क्रमशः 271 और 263 के एक्यूआई के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा, अन्य जिलों में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही, जैसे कि फरीदाबाद (237), हिसार (249), जींद (250) और पंचकूला (254)।
राज्य में प्रदूषण की बढ़ती स्थिति को देखते हुए, राज्य सरकार ने पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। पुलिस ने भी अब तक 286 एफआईआर दर्ज की हैं, जो पराली जलाने की घटनाओं से संबंधित हैं।
प्रदूषण का प्रभाव: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर असर
हरियाणा के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जो लोगों की सेहत पर गंभीर असर डाल रहा है। खासकर, हवा में मौजूद कण (PM2.5 और PM10) स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं। प्रदूषण के कारण सर्दी-खांसी, आंखों में जलन, और सांस संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।
वहीं, यह भी देखा जा रहा है कि प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है, जिसके चलते पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। धुंआ और प्रदूषण के कणों के कारण न केवल प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि जीवनदायिनी हवा की गुणवत्ता भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है।
पुलिस और प्रशासन की बढ़ी हुई भूमिका
हरियाणा पुलिस और प्रशासन ने भी पराली जलाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य में 286 एफआईआर दर्ज करने के बाद अब पुलिस ने पराली जलाने के आरोप में किसानों और अन्य दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। इसके अलावा, जिला प्रशासन भी इस समस्या को सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
सरकार की ओर से किसानों को विभिन्न विकल्पों पर काम करने की सलाह दी जा रही है ताकि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना अपनी फसलों का प्रबंधन कर सकें। राज्य में कई जिलों में पराली जलाने के विकल्प के रूप में बायो डीकंपोजर और अन्य कृषि उपायों की पहल की जा रही है।