
उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम ने चारधाम यात्रा पर ब्रेक लगा दिया है। मौसम विभाग द्वारा राज्य में जारी भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए जिला प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब और केदारनाथ यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी है। चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों के प्रशासन ने यह कदम एहतियातन उठाया है ताकि किसी भी संभावित आपदा से यात्रियों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
तीन दिनों के लिए रोकी गई यात्रा
भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून की ओर से 12, 13 और 14 अगस्त के लिए राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इसे ध्यान में रखते हुए चमोली जिले के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा को अगले तीन दिनों के लिए स्थगित करने की घोषणा की है। वहीं, रुद्रप्रयाग जिले के डीएम प्रतीक जैन ने केदारनाथ यात्रा को भी 14 अगस्त तक रोके जाने के आदेश दिए हैं।
दोनों जिलों में यात्रा रोकने का निर्णय यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है। अधिकारियों ने कहा है कि भारी बारिश की आशंका के चलते भूस्खलन, सड़कों के अवरुद्ध होने और जलस्तर बढ़ने जैसी स्थितियों से यात्रियों को खतरा हो सकता है।
प्रशासन पूरी तरह सतर्क, विभागों को निर्देश जारी
चमोली और रुद्रप्रयाग दोनों जिलों में संबंधित सभी विभागों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने बताया कि आपदा प्रबंधन, लोक निर्माण विभाग, पुलिस और अन्य आपातकालीन सेवाओं को चौबीसों घंटे सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि वार्निंग सिस्टम का परीक्षण किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके। नदी किनारे रहने वाले लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में जेसीबी और पोकलेन मशीनें 24 घंटे तैनात की गई हैं ताकि रास्ते बंद होने की स्थिति में तुरंत उन्हें खोला जा सके।
नदी के जलस्तर पर निगरानी बढ़ी
भारी बारिश के दौरान नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने की संभावना होती है। इसे देखते हुए प्रशासन ने अलकनंदा, मंदाकिनी और अन्य प्रमुख नदियों के जलस्तर की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। जल आयोग और सिंचाई विभाग के साथ समन्वय बनाकर सतत मॉनिटरिंग की जा रही है।
पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें भी संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं। हेल्पलाइन नंबर सक्रिय कर दिए गए हैं ताकि आमजन किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन से तुरंत संपर्क कर सकें।
यात्रियों से अपील – धैर्य रखें और निर्देशों का पालन करें
जिला प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, धैर्य बनाए रखें और प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। यात्रा बहाल होने की स्थिति में सभी को सूचित किया जाएगा। डीएम संदीप तिवारी ने कहा, “हमारे लिए यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। मौसम में सुधार होने के बाद ही यात्रा को दोबारा शुरू किया जाएगा।” इस दौरान पुलिस द्वारा तीर्थ स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों पर बैरिकेडिंग कर यातायात को रोका गया है। साथ ही होटलों और धर्मशालाओं में रुके यात्रियों को लगातार जानकारी दी जा रही है।
सड़कें भी बन रहीं चुनौती
भारी बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में कई जगहों पर भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। खासकर राष्ट्रीय राजमार्गों पर ‘डेंजर ज़ोन’ में यातायात प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। एनएच-58 (ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे) और एनएच-107 (ऋषिकेश-केदारनाथ मार्ग) पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि जहां-जहां सड़कें बंद होने की संभावना है, वहां 24 घंटे जेसीबी और मशीनरी तैनात कर दी गई है ताकि मार्ग अवरुद्ध होने की स्थिति में तुरंत उन्हें खोला जा सके।
स्थानीय लोगों और व्यापारियों की चिंताएं
चारधाम यात्रा पर रोक लगने से जहां तीर्थयात्रियों को असुविधा हुई है, वहीं स्थानीय व्यापारियों और होटल व्यवसायियों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। इस सीज़न में चारधाम यात्रा से जुड़ा व्यवसाय चरम पर होता है, लेकिन बार-बार मौसम की मार से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है। एक स्थानीय होटल संचालक ने कहा, “हर साल बारिश के दौरान यही स्थिति बनती है। हम प्रशासन के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इस बार लगातार यात्रा रुकने से नुकसान हो रहा है।”
सरकार की नजर – रियल टाइम मॉनिटरिंग
राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा की स्थिति पर मुख्यमंत्री कार्यालय से निगरानी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों के डीएम से रियल टाइम अपडेट देने को कहा है। इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सभी उपाय तेज़ी से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग को भी तैयार रहने को कहा है ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए जा सकें।