
उत्तराखंड में मानसून का असर अब पूरी तरह दिखने लगा है। राज्य के पर्वतीय जिलों में रविवार और सोमवार को भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून ने नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर और पौड़ी जिले के कुछ इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि देहरादून, टिहरी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा जिलों के लिए येलो अलर्ट घोषित किया गया है।
राज्य में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भूस्खलन के चलते 39 सड़कें बंद हो चुकी हैं, जिनमें से 34 सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (State Emergency Operation Center) के अनुसार बंद सड़कों को खोलने का काम तेजी से किया जा रहा है, लेकिन भारी बारिश के कारण यह कार्य भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग के मुताबिक, ऑरेंज अलर्ट उन परिस्थितियों में जारी किया जाता है जब मौसम खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है और इससे जनजीवन प्रभावित हो सकता है। नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर और पौड़ी जिले के कुछ क्षेत्रों में अगले 48 घंटों के भीतर भारी से बहुत भारी वर्षा (115.6 से 204.4 मिमी तक) की संभावना है। इन जिलों में लोगों को सलाह दी गई है कि वे पहाड़ी इलाकों में अनावश्यक यात्रा न करें और नदी-नालों के किनारे जाने से बचें। साथ ही प्रशासन ने सभी ज़िला अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं।
येलो अलर्ट वाले जिले भी सतर्क रहें
येलो अलर्ट वाले जिलों में भी भारी बारिश की आशंका है, लेकिन खतरे की तीव्रता ऑरेंज अलर्ट की तुलना में थोड़ी कम है। फिर भी, देहरादून, टिहरी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा जैसे ज़िलों में मौसम बिगड़ने की पूरी संभावना है। इन क्षेत्रों में तेज़ हवाओं के साथ बिजली गिरने और पेड़ों व कच्चे निर्माणों को नुकसान पहुंचाने वाली आंधियों की संभावना जताई गई है। हवाओं की रफ्तार 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है।
सड़कें बंद, ग्रामीण इलाकों में बढ़ी मुश्किलें
मूसलाधार बारिश और भूस्खलन के चलते राज्य की 39 सड़कें बंद हो गई हैं, जिनमें 34 सड़कें ग्रामीण इलाकों की हैं। इससे इन क्षेत्रों का संपर्क बाकी हिस्सों से कट गया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि इन सड़कों को खोलने के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की टीमें लगातार काम कर रही हैं। हालांकि लगातार बारिश और मलबा गिरने की घटनाओं से राहत कार्यों में बाधा आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक परेशानी दवा, राशन और अन्य जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति को लेकर हो रही है। साथ ही, मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में भी कठिनाई आ रही है।
बिजली गिरने और तेज हवाओं की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र ने यह भी आगाह किया है कि बारिश के साथ-साथ बिजली गिरने और तेज़ हवाएं चलने की संभावना है। यह स्थिति विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए खतरनाक हो सकती है, जहां अक्सर लोग खेतों में या खुले स्थानों पर कार्य करते हैं।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने जनता से अपील की है कि वे मौसम से जुड़ी ताजा जानकारी के लिए रेडियो, टीवी और मोबाइल एप्स पर नजर रखें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।
प्रशासन ने जारी किए निर्देश
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने संबंधित जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयार रहें। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, होमगार्ड और अग्निशमन विभाग को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भी सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में स्कूलों को एहतियातन बंद रखने का निर्णय जिला स्तर पर लिया जा सकता है।
पर्यटन पर भी असर
उत्तराखंड एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां मानसून के दौरान भी बड़ी संख्या में पर्यटक नैनीताल, मसूरी, औली, और चंपावत जैसे क्षेत्रों का रुख करते हैं। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद पर्यटन विभाग ने भी पर्यटकों से अपील की है कि वे यात्रा से पहले मौसम की स्थिति की पूरी जानकारी लें और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों से बचें। साथ ही होटल और होमस्टे संचालकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने मेहमानों को मौसम की स्थिति से अवगत कराएं और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें।