
पंजाब इस समय एक भयावह प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है। राज्य भर में हो रही अत्यधिक बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह से ठप कर दिया है। गांव के गांव जलमग्न हैं, लाखों एकड़ फसलें डूब चुकी हैं, और लोगों का घरों से निकलना तक मुश्किल हो गया है। अगस्त के अंत से शुरू हुआ बारिश और बाढ़ का कहर सितंबर की शुरुआत तक अपने चरम पर है।
विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की मानें, तो यह स्थिति 1988 की ऐतिहासिक बाढ़ से भी अधिक विनाशकारी साबित हो रही है, जब राज्य की लगभग 75% फसलें नष्ट हो गई थीं। इस बार का संकट और भी व्यापक है, जिससे न केवल जन-धन का नुकसान हो रहा है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे पर भी गहरा असर पड़ा है।
1300 से अधिक गांव डूबे, 22 से ज्यादा जिले प्रभावित
राज्य के 22 से 23 जिलों में जलप्रलय जैसे हालात बन चुके हैं। 1,300 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे लाखों लोगों का जीवन संकट में पड़ गया है। 2.56 लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर प्रभावित, 15,688 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, 26 से 29 लोगों की मौत, 3 लोग लापता
बाढ़ ने गांवों के साथ-साथ शहरों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। जल निकासी की व्यवस्था चरमरा चुकी है और शहरों की सड़कें नदी में तब्दील हो गई हैं।
धान की फसल तबाह, कृषि को गहरा झटका
पंजाब जो कि भारत का अन्नदाता माना जाता है, वहां कृषि क्षेत्र को तगड़ा झटका लगा है। 3 लाख एकड़ से अधिक धान की फसल पानी में डूब चुकी है। कटाई से ठीक पहले यह तबाही किसानों के लिए आर्थिक आपदा बन गई है। हजारों घर, दुकानें और गोदाम भी प्रभावित हुए हैं। किसानों ने बताया कि यह नुकसान कर्ज के बोझ तले दबे ग्रामीण तबके को और अधिक संकट में डाल देगा। बाढ़ ने मिट्टी की गुणवत्ता और अगली बुवाई पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
बाढ़ से शिक्षा और यातायात भी प्रभावित
बाढ़ का असर केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और परिवहन भी ठप हो चुका है। 3 सितंबर तक स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद, रेलवे सेवाएं बाधित: कई ट्रेनें रद्द या डायवर्ट, कई सड़कें और पुल ध्वस्त या जलमग्न
छात्रों की परीक्षाएं टली हैं, और अभिभावकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। रेल और बस यात्रियों को लगातार अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
सतलुज, ब्यास और रावी: नदियां उफान पर
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कैचमेंट एरिया में रिकॉर्ड बारिश, और भारत के प्रमुख बांधों जैसे भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर से पानी छोड़े जाने के कारण पंजाब की नदियां उफान पर हैं। सतलुज नदी असाधारण ऊंचाई पर बह रही है, ब्यास नदी में लगभग 2 लाख क्यूसेक पानी बह रहा है, रावी के साथ-साथ चेनाब (माराला में 7.7 लाख क्यूसेक) भी प्रभावित
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी
राज्य और केंद्र सरकार दोनों राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। NDRF की 6 टीमें गुरदासपुर में, अन्य जिलों में 1-1 टीम तैनात, SDRF, सेना, नौसेना, वायुसेना, BSF और पंजाब पुलिस सक्रिय, 506 राहत कैंप, 352 मेडिकल कैंप, 331 पशु चिकित्सा कैंप स्थापित
ड्रोन और बोट्स की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से घरों में रहने और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने की अपील की है।
राजनीतिक मोर्चे पर तेज़ी: केंद्र से राहत पैकेज की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर हर संभव मदद की अपील की। मुख्यमंत्री ने केंद्र से ₹60,000 करोड़ की लंबित राशि जारी करने की मांग की है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बाढ़ पीड़ितों के लिए स्पेशल राहत पैकेज की मांग की है। केंद्र सरकार ने मदद का आश्वासन दिया है और PMO की ओर से स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।