
कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत के बाद उत्तराखंड में भी पुलिस प्रशासन अलर्ट पर है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को आदेश जारी करते हुए विशेष चेकिंग अभियान चलाने को कहा है। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और पर्यटन स्थलों पर सघन निगरानी और तलाशी अभियान तेज कर दिए गए हैं।
राज्य के सभी जिलों में अलर्ट जारी
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में बड़ी संख्या में पर्यटकों की जान जाने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्यभर में सतर्कता बढ़ा दी है। डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि उत्तराखंड एक प्रमुख पर्यटन राज्य है और यहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। ऐसी स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि “हमने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। खासतौर पर बॉर्डर जिलों—उधमसिंह नगर, नैनीताल, चंपावत और चमोली में चौकसी बढ़ा दी गई है। हर जिले से हर घंटे रिपोर्ट ली जा रही है और नियमित समीक्षा की जा रही है।”
पर्यटक स्थलों पर अतिरिक्त निगरानी
उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थल जैसे मसूरी, नैनीताल, ऋषिकेश, हरिद्वार, औली और चकराता अब पुलिस के विशेष निगरानी क्षेत्र बन गए हैं। इन जगहों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है और आने-जाने वाले लोगों की तलाशी ली जा रही है। राज्य पुलिस द्वारा ड्रोन कैमरों, मेटल डिटेक्टर्स और श्वान दलों की मदद से लगातार गश्त की जा रही है।
डीजीपी ने यह भी बताया कि “हमने विशेष रूप से उन स्थानों को चिन्हित किया है जहां पर्यटकों की ज्यादा भीड़ होती है। सभी होटल, धर्मशालाओं और लॉज में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को कड़ाई से लागू किया जा रहा है।”
रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर कड़ी चेकिंग
राज्य के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डों पर पुलिस तैनात की गई है। देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और काठगोदाम जैसे प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों की पहचान पत्र जांच, बैग की तलाशी और सीसीटीवी की निगरानी 24×7 की जा रही है।
डीजीपी ने साफ निर्देश दिए हैं कि संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की सूचना तुरंत नियंत्रण कक्ष को दी जाए और किसी भी स्थिति में सतर्कता में कमी न आए।
बॉर्डर इलाकों पर सख्ती
उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, और नेपाल से लगती हैं। पहलगाम हमले के बाद इन बॉर्डर इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती बढ़ा दी गई है। बॉर्डर पर चौकियों पर चेकिंग बढ़ा दी गई है और आने-जाने वाले हर वाहन की सघन तलाशी की जा रही है।
चंपावत जिले में भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी और राज्य पुलिस की संयुक्त टीम चौकसी कर रही है। उधमसिंह नगर जिले में बनबसा और किच्छा में विशेष रूप से गश्त बढ़ा दी गई है।
राज्य के डीजीपी का स्पष्ट संदेश
डीजीपी दीपम सेठ ने कहा, “हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता राज्य की जनता और यहां आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा है। पहलगाम जैसा हमला कहीं और न हो, इसके लिए हम हरसंभव सतर्कता बरत रहे हैं। सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सुरक्षा को लेकर कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट को सतर्क कर दिया गया है और केंद्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर सूचनाएं साझा की जा रही हैं।
स्थानीय प्रशासन भी हुआ सतर्क
राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों और एसपी स्तर के अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई गई है। पर्यटक स्थलों के आसपास के व्यापारियों, होटल मालिकों और परिवहन संचालकों को भी सतर्क किया गया है। होटल और गेस्ट हाउस संचालकों से कहा गया है कि वे बिना वैध आईडी के किसी भी व्यक्ति को ठहरने की अनुमति न दें।
साथ ही आम नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे सतर्क रहें और कोई संदिग्ध गतिविधि दिखने पर तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करें।
सुरक्षा व्यवस्था में तकनीकी संसाधनों का उपयोग
पुलिस अब सुरक्षा व्यवस्था को तकनीकी रूप से मजबूत करने पर भी ध्यान दे रही है। सीसीटीवी की मॉनिटरिंग, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग, फेशियल रिकग्निशन सिस्टम जैसी तकनीकों का उपयोग तेज किया गया है। देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल जैसे शहरों में पहले से मौजूद इंटीग्रेटेड ट्रैफिक एंड कंट्रोल सिस्टम (ITCS) को भी सक्रिय किया गया है।
डीजीपी ने बताया कि “हमें अब पारंपरिक गश्त से आगे बढ़कर टेक्नोलॉजी की मदद लेनी होगी ताकि किसी भी आतंकी गतिविधि को समय रहते रोका जा सके।”