
देहरादून, 20 फरवरी 2025: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के तीसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य गठन के बाद का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1,01,175.33 करोड़ रुपये का बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया। यह बजट राज्य के समग्र विकास और दीर्घकालिक आर्थिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
इस बजट में कृषि, उद्योग, ऊर्जा, अवसंरचना, पर्यटन और आयुष जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। राज्य सरकार का उद्देश्य हर क्षेत्र में समग्र और समतल विकास सुनिश्चित करना है, ताकि उत्तराखंड को आत्मनिर्भर और सशक्त राज्य बनाया जा सके।
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह बजट “सरलीकरण, समाधान और निस्तारीकरण” के मार्ग पर अग्रसर है। इसका उद्देश्य उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाना है, जिसके लिए कृषि, उद्योग, पर्यटन और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में व्यापक निवेश किया जाएगा। इस बजट में विशेष ध्यान उन वर्गों पर दिया गया है जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, जैसे गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाएं (GYAN)।
राजस्व व्यय के लिए 59,954.65 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय के लिए 41,220.68 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार, कुल बजट का लगभग 59.3% राजस्व व्यय के लिए और 40.7% पूंजीगत व्यय के लिए निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, बजट में 12,604.92 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा (जीडीपी का 2.94%) अनुमानित किया गया है, जो एफआरबीएम एक्ट की सीमा के भीतर है।
सरकार ने छोटे और मंझले उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का एलान किया है।
- एमएसएमई उद्योग: 50 करोड़ रुपये
- मेगा इंडस्ट्री नीति: 35 करोड़ रुपये
- स्टार्टअप उद्यमिता प्रोत्साहन: 30 करोड़ रुपये
इन पहलुओं से एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा और युवा उद्यमियों के लिए नए अवसरों का सृजन होगा।
- जल जीवन मिशन: 1,843 करोड़ रुपये
- पीएमजीएसवाई (ग्रामीण सड़क योजना): 1,065 करोड़ रुपये
- लोनिवि (सड़क निर्माण और अनुरक्षण): 1,268.70 करोड़ रुपये
बजट में जल आपूर्ति और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए व्यापक योजना बनाई गई है। इससे ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में सुधार होगा।
- अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों का विकास: 60 करोड़ रुपये
- अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों का विकास: 8 करोड़ रुपये
इस बजट में राज्य के कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए अतिरिक्त आवंटन किया गया है।
उत्तराखंड का पर्यटन क्षेत्र राज्य के आर्थिक विकास का एक प्रमुख हिस्सा है। इस बार के बजट में पर्यटन के विकास के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी गई है:
- टिहरी झील का विकास: 100 करोड़ रुपये
- मानसखंड योजना: 25 करोड़ रुपये
- वाइब्रेंट विलेज योजना: 20 करोड़ रुपये
- नए पर्यटन स्थलों का विकास: 10 करोड़ रुपये
- चारधाम मार्ग सुधारीकरण: 10 करोड़ रुपये
यह निवेश राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों का विकास करेगा और पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाएगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- 220 किमी नई सड़कों का निर्माण
- 1,000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण
- 1,550 किमी मार्गों का नवीनीकरण
- 1,200 किमी सड़क सुरक्षा कार्य और 37 नए पुलों का निर्माण
राज्य के सड़क नेटवर्क को सुधारने के लिए व्यापक योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे न केवल यातायात की व्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि व्यापार और पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
ऊर्जा क्षेत्र में सरकार ने बैटरी आधारित परियोजनाओं और विभिन्न बांधों के निर्माण पर जोर दिया है:
- यूजेवीएनएल की तीन बैटरी आधारित परियोजनाएं: इन परियोजनाओं को मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
- मेगा प्रोजेक्ट योजना: 500 करोड़ रुपये
- जमरानी बांध: 625 करोड़ रुपये
- सौंग बांध: 75 करोड़ रुपये
- लखवाड़ बांध: 285 करोड़ रुपये
इन परियोजनाओं से राज्य की ऊर्जा क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे उद्योगों और घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बजट को राज्य के भविष्य के लिए एक “विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम” बताया। उन्होंने कहा, “यह बजट उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए एक रोडमैप है, जिससे राज्य के हर नागरिक की जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा।”
वहीं, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह बजट उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक मजबूत आधारशिला तैयार करेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बजट में आवंटित किए गए धनराशि को राज्य के समग्र विकास के लिए जरूरी बताया और कहा कि इससे विभिन्न क्षेत्र सशक्त होंगे।