
त्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। सहसपुर भूमि प्रकरण को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बीच प्रदेश के पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने शनिवार को कांग्रेस भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भाजपा और ईडी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि यदि वह इस मामले में दशमलव एक प्रतिशत भी दोषी साबित हुए, तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उन्होंने इसे एक “राजनीतिक षड्यंत्र” करार देते हुए सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सत्ता के दुरुपयोग के जरिए उनकी छवि खराब करने की साजिश कर रही है।
“मैं कफन बांधकर राजनीति करता हूं”
गंभीर आरोपों के बीच हरक सिंह रावत ने भावुक अंदाज़ में कहा, “मैं डरने वाला नहीं हूं। मैं कफन बांधकर राजनीति करता हूं। कोई व्यक्ति तभी डरता है जब वह गलत होता है। यदि मैं दोषी साबित हुआ तो हर सजा भुगतने को तैयार हूं, लेकिन यदि आरोप झूठे निकले तो ईडी के उन अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए जिन्होंने फर्जी चार्जशीट तैयार की।”
उन्होंने कहा कि सहसपुर की जिस जमीन को लेकर मामला उठाया गया है, वह 1962 से सुशीला रानी नामक महिला के नाम पर दर्ज थी, जिसे उन्होंने वर्ष 2002 में खरीदा था। “जमीन की खरीद-फरोख्त पूरी तरह वैध और पारदर्शी थी,” उन्होंने कहा।
क्या है मामला?
प्रवर्तन निदेशालय ने डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ सहसपुर क्षेत्र की एक 8.29 हेक्टेयर भूमि खरीद को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग और दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप में फर्जीवाड़े की जांच शुरू की है। ईडी का आरोप है कि भूमि खरीद में वित्तीय अनियमितताएं हैं। दस्तावेजों में गड़बड़ी की गई। सर्किल रेट से कम मूल्य पर भूमि खरीदी गई, जिससे सरकार को राजस्व हानि हुई। हालांकि, डॉ. रावत का कहना है कि “राजपुर रोड जैसी जगहों पर जमीन सर्किल रेट से 15% ज्यादा में बिकती है, वहीं जहां सड़क की सुविधा नहीं है वहां जमीन सर्किल रेट से 50% कम में जाती है।”
“ईडी को ऊपर से दबाव है”
रावत ने ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि एजेंसी सरकार के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा, “ईडी का साफ कहना है कि यदि इस कार्रवाई से बचना है तो ऊपर से कहलवाया जाए। लेकिन मैं डरकर भाजपा में नहीं जाऊंगा। अगर प्यार से कहा होता, तो विचार किया जा सकता था।” इस बयान के जरिए रावत ने यह संकेत भी दिया कि उन्हें धमकी या दबाव के ज़रिए भाजपा में लाने की कोशिश की गई है।
निवेशक सम्मेलन को बताया “जमीन घोटाले का माध्यम”
पूर्व मंत्री ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि जब वह भाजपा सरकार में मंत्री थे, उस वक्त 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश का दावा किया गया था, लेकिन एक भी उद्योग स्थापित नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि “निवेशक सम्मेलन जमीन को इधर-उधर करने की एक सांठगांठ मात्र था।” रावत ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी जी की सरकार में हरिद्वार और सेलाकुई जैसे क्षेत्रों में उद्योग लगे थे, लेकिन भाजपा की सरकार में वे भी बंद हो गए।”
“10 दिन के लिए जाता हूं और चुनाव जीत जाता हूं”
राजनीतिक भविष्य को लेकर पूछे गए सवाल पर रावत ने आत्मविश्वास से भरा उत्तर दिया। उन्होंने कहा, “मैं सबसे ज्यादा बार सरकार में मंत्री रहा हूं। चुनाव में केवल 10 दिन के लिए अपने क्षेत्र में जाता हूं और चुनाव जीत जाता हूं।” जब उनसे पूछा गया कि 2027 में किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “अभी इसमें समय है।”
“भाजपाइयों को सत्ता का घमंड हो गया है”
भाजपा पर व्यक्तिगत हमले जारी रखते हुए डॉ. रावत ने कहा, “भाजपा के लोग अब कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्हें सत्ता का इतना घमंड हो गया है कि वे सोचते हैं कि कानून भी उनकी जेब में है। लेकिन याद रखिए, रावण और कंस का घमंड भी टूटा था, भाजपाइयों का घमंड भी टूटेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बदनाम करने की साजिश लंबे समय से रची जा रही है, लेकिन वह हर बार निर्दोष साबित हुए हैं और जनता का विश्वास आज भी उनके साथ है।